3 Feb 2013

सिलसिला 8


उनकी नोंकझोंक से अनुमान लगाना मुश्किल था कि वे भाई बहन है. बातें तो प्रेमी प्रेमिका जैसी हो रही थीं.

मैं बड़ा ही असहज महसूस कर रहा था उन दोनों के रवैये से. आखिर भाई-बहन जो थे.

वो मेरी दुविधा समझ गया. उसने मुझसे सीधे-सीधे पूछ डाला.......अभि, ये डॉली खूबसूरत दिखती है ना.......नहीं क्या. पर तुने तो अभी तक एक बार भी इसे कोम्प्लिमेंट नहीं दिया.

ओह सॉरी सॉरी.........डॉली, यू आर वैरी ब्यूटीफुल.’......मैं बोला.

उसने अदा के साथ सर झुका कर थेंक्स कहा.

फिर दोनों ने कुछ देर खुसर पुसर की........डॉली कुटिलता से मुस्कुराने लगी.

अजय मुझे देख कर बोला.....अच्छा अभि, डॉली कहाँ से ज्यादा खूबसूरत है.

ये तो सर से पैर तक खूबसूरत है.

नहीं.....मुझे स्पेसिफिक जवाब चाहिए.......इधर आकर गौर से देखो और बताओ.

मैं नहीं उठा तो वे दोनों उठ कर मेरे करीब आये और अजय ने डॉली को मेरे पास सोफे पर धकेल दिया.
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उसने मुझसे सटते हुए मेरी बांह थामी और आँखे मटकाते हुए पूछा.......बताओ ना अभि........क्या चीज़ पसंद आई तुम्हे.

आँखे.

और

और होंठ’.......

मतलब कि ये पसंद नहीं आये तुम्हे .’......कहते हुए उसने अपने बूब्स को हाथों में भरते हुए फुलाया.

हाँ ये भी अच्छे हैं.’.......बोलते हुए थोड़ा शर्मा गया मैं.

अच्छा तो अब ये बताओ कि मेरे होंठ ज्यादा अच्छे हैं या कि ये’.......और बोलते हुए उन उभारों को वो पिचका पिचका के नचा रही थी.

ना चाहते हुए भी मेरी निगाह उन डोलते गोलों पर जम गई और कोई जवाब ना दे पाया.

तब अजय ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा और बोला.......अभि, तुम एक काम करो. दोनों चीज़ों को हाथों से फील करो, फिर जवाब देना.

हाँ ये ठीक रहेगा’..... ये कहते ही डॉली ने मेरा हाथ पकड़ा और उँगलियों को अपने होंठो पर फिरवाने लगी.

पहले पहल तो बाहर बाहर ही ......फिर उँगलियों को थोड़ा होंठ के अंदर घुसाया.

उसके अंदरूनी होंठ मक्खन की तरह मुलायम थे.

फिर उसने होंठो की पंखुडियां बंद की और उँगलियों को चूसने लगी.

थोड़ी ही देर में उसने सारी उँगलियाँ अपने थूक से लथेड़ दी. फिर उसने मेरा अंगूठा अपने मुंह में ले लिया और उसे बड़ी ही बेशर्मी से चूसने लगी.

दोनों हाथों से मेरी हथेलियों को थाम कर अंगूठा इस तरह से अंदर बाहर कर रही थी जैसे वो पप्पू को चूस रही हो. चूसते चूसते वो मुझे बड़ी ही सिड्यूसिंग निगाहों से देख रही थी.

इसी तरह फिर, उसने दूसरे अंगूठे का भी कस निकाला.

अब उसने मेरे दोनों हाथ थामे और उन्हें अपने बूब्स पर टिका दिए. शरीर के सुतवेंपन को देखते हुए मुझे वो काफी मोटे लगे.

अब वो मेरे हाथों से अपने मोम्मे दबवाने लगी. कुछ देर में, जब मैं खुद ही उन्हें दबाने लगा तो उसने अपने हाथ हटा कर मेरे कंधो पर रख दिए. उसके टपलू काफी कड़क थे.

अभि..... जरा अच्छे से मसलो इन्हें....वरना अंतर कैसे बताओगे’.......अजय बोला.

अब तक तो मैं उन्हें गोलाइंयों पर ही मसल रहा था.......पर अभी मैंने उन दोनों को अपनी पूरी हथेलियों में भर लिया.

अंदर ब्रा नहीं होने के कारण उसके कड़क निप्पल मेरे हाथों में चुभे.

अब उन मस्त गोलों को आटे की तरह गूंधने लगा. फिर उसकी चुन्ची पकड़ कर जैसे ही दो-तीन बार रोल करा, वो सी’ ‘सीकरने लगी.

उसके हाथ अपने आप मेरे कन्धों से ऊपर होते चले गए और वो मेरे सर को सहलाने लगी.

उसकी आँखे एकबार फिर से मेरी आँखों में डूबने लगी.

तभी, अजय डॉली के पीछे आया और उसने अपने मुंह को उसके कंधे पर टिकाकर उसे अपनी बाँहों में कस लिया.

अजय ने ज्यूँ ही उसके गाल पर चुम्मा दिया उसने तड़प कर अपना मुंह उसकी तरफ घुमाया और अपने होंठ उसके होंठो में घुसा दिए.

अब ठीक, मेरी आँखों के सामने उनकी चूमा-चाटी चालू हो गई. ये देख कर मेरे हाथ उसके मम्मों को रुई की तरह धुनने लगे.

उसके हाथ अभी भी मेरे सर पर थे. अचानक उसने अपने हाथ से मेरा सर उसकी तरफ खींचा.

जैसे ही मेरा मुंह उसके चेहरे के पास पहुंचा, उसने एक झटके में अपने होंठ अजय के मुंह से निकाले और मेरे में घुसा दिए.

मेरे हाथ अब उसके कंधों पर आ गए. उसके होंठ बहुत ही कोमल और रसभरे थे. मैं बड़ी ही नजाकत से उन्हें चूसने लगा. पर वो थोड़ी बेसब्र हो रही थी और अपनी जीभ बार बार मेरे मुंह में घुसा रही थी.

तभी अजय ने हम दोनों को खड़ा कर दिया.....तब भी हम एक दूसरे को कस के चूस रहे थे.

अब अजय ने डॉली के गाउन की ज़िप खींच दी और गाउन को उसके हाथों से सरकाता हुआ सर्र से नीचे टपका दिया.

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