3 Feb 2013

सिलसिला 5


'चलो अन्दर हाथ डाल कर सब तरफ अच्छे से चेक करो.'

आदेश होते ही मैंने उसका जींस चड्डी समेत अपनी ओर खींचा और हथेली को अन्दर घुसा दिया.

मेरी बीच की उंगली तुरंत उसके दरार में उतर गई. तुरंत संकोचवश मैंने हाथ नितम्ब की ओर लाया और फिर दूसरा था भी घुसा कर दूसरे नितंब पर ले गया.

मैं अब कुर्सी पर उसकी तरह ही बैठ गया ताकि आसानी से मसाज की जा सके. उसने भी अपने नितम्ब थोड़े हवा में उठा लिए.

जैसे जैसे हाथों की हरकत दोनों पुठ्ठों पर बड़ने लगी, उसकी पतली सी चड्डी और जींस अपने आप नीचे सरकने लगी और अब तकरीबन आधा पिछवाडा दिखाई देने लगा था.

मेरी तो आँखों की भी अच्छे से सिकाई होने लगी थी.

मेरी दोनों हथेलियाँ अब उसकी एकदम सुडौल, भारी और गद्देदार गोलाइयों पर कस के मालिश कर रहे थे.......

कभी कभी एक ऊँगली दरार पर फिसल जाती थी......

ऐसे ही एक बार फिसली तो सीधे उसके छेद के ऊपर जा पहुंची......मैंने ऊँगली को वहां रोका और पोर से जरा सी थर-थर्राहट पैदा की तो उसके मुंह से एक मादक 'सी' की ध्वनि निकल गई.

फिर रुका और फिर किया तो फिर 'सी'.

ऐसा ३-४ बार किया और फिर गोलाइयों को रगड़ रगड़ कर नापने लगा.

वहां से थोडा बोर हुआ तो एक बार दोनों हाथ उसकी वेस्ट-लाइन से होते हुए उसके पेट की और बडाये तो जांघ और पेट के बीच रास्ता ना होने के कारण वहां फँस गए.

मैं रुक गया तो वो थोड़ी सी बैठ गई जिससे रास्ता क्लियर हो गया और मैंने अपने दोनों हाथ रगड़ते हुए ठीक नाभि तक पहुँच दिए.

फिर एक उंगली से उसकी नाभि को कम्पित करने लगा. उसने एकदम से मेरा हाथ वहां से हटा दिया.

मैं भी फिर रगड़ते हुए पुरे पेट के मुलायमपन और कमर का जायजा लेते हुए हाथ पीछे ले आया और तुरंत बोला......'यहाँ भी कुछ नही मिला, अब कहाँ देखें.'

वो फिर उकडू झुकी और अबकी बार चूतडों को काफी हवा में ऊपर उठाते हुए बोली.....'थोडा और अन्दर, नीचे की तरफ जाकर चेक करो.'

वो कीट खोजो अभियान का निर्देशन कर रही थी और मैं उसका अनुपालन......खेल आगे बढता ही जा रहा था....

मैंने एक हाथ पुन: जींस के अन्दर डाला और अबकी बार ऊँगली को दरार में फिसलने दिया.......

पहले छेद पर ऊँगली को रोका और थोड़ी मसाज की......सी सी की बहुत आवाज निकली उसकी....

फिर मैंने दुसरे हाथ की एक ऊँगली पर काफी थूक गिराया और उसे दरार में लथेड दिया.

छेद पर मसाज करती ऊँगली को ऊपर करके सारा थूक लपेट लिया और फिर ले चला छेद की ओर.

अब काफी चिकनाई के साथ फिर छेद की मालिश शुरू की.......अबके तो जोर से आवाज़ निकली......

वो अब अपनी जांघो को बार बार सिकोड़ने लगी थी.........वो जल्दी से बोली......'नीचे भी तो चेक करो'

अपनी ऊँगली को मैंने दरार में नीचे फिसलाया......वो कर्व से घुमती हुई नीचे सुरंग में दाखिल होने लगी...

उसने अपनी जांघे थोड़ी चौड़ी कर ली और पुठ्ठे थोड़े और हवा में कर दिए..

मैंने जींस और पेंटी को जांघो के भी नीचे तक सरकाया तो मेरी ऊँगली उसकी योनी के निचले मुहाने पर पहुँच गई.....

और जैसे ही अन्दर जोर लगाया वो थोड़ी सी मुड़ी और एक गर्म शहद से भरी कुण्डी में धंसती चली गई. वो एकदम से चिहुंकी.


फिर उसने अपनी जांघो से दबाव बढाकर उसे अन्दर ही जकड लिया. कुछ देर रुका और उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगा.

मेरे रुकते ही वो हिलने लगी ताकि ऊँगली अन्दर बाहर हो......बस फिर क्या था.......मैं उस गर्म और पनीली खोह का जायजा लेने लगा, और बहुत ही धीरे धीरे अन्दर बाहर चलाने लगा.......

वो कसमसाने लगी....मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुलायम मख्खन से भरी कटोरी में ऊँगली चला रहा हूँ, इतना कोमल अहसास था ......

कुछ देर मख्खन को मथने के बाद वो बोल पड़ी .....'और भी जगह है चेक करने के लिए, थोडा बाहर निकल कर ऊपर बढ़ो, शायद वहां कुछ मिले......

और हाँ, थोडा जल्दी करो, मैं जल रही हूँ.'.............

ये, इस घास-विहीन, दलदली और फिसलन से भरी वाटिका के सबसे ऊपर स्थित छोटे से टिगड्डे पर जाने का निर्देश था.

इस अति संवेदनशील बिंदु पर सबसे ज्यादा 'नर्व-एंडिंगस' होती है ........

अब मैंने उसके छिद्र से ज्योंही ऊँगली बाहर निकाली, ढेर सारी चिकनाई भरभरा के फूट पड़ी और मेरी पूरी हथेली उस पानी से सराबोर हो गई ......

अब मैंने तीन उँगलियाँ उसकी योनी के ऊपर की तरफ बढानी शुरू की.
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वो अब लगभग घुटनों पर ही बैठ गई थी. जहाँ, बीच की ऊँगली योनी की चिकनी दरार में से गुजर रही थी वहीँ दूसरी दोनों उँगलियाँ दोनों और स्थित मोटे मोटे होंठो के ऊपर से उन्हें मसलते हुए बढ रही थी.......

थोड़ी देर यूँ ही मालिश चलती रही.

अब मैंने अपना पूरा पंजा उसके त्रिभुज रख दिया. फिर उसे मुठ्ठी में भरता और छोड़ता, ऐसे कुछ देर तक उसे गूंधता रहा.

इस हम्पिंग-पम्पिंग से उसे जबरदस्त सेंसेशन मिल रहा था और वो मुंह दबाये लगातार कराह रही थी.

अब तो वो छोटी सी टेकरी को रौंद दिए जाने के लिए मरी जा रही थी.

उसने अपना एक हाथ अपनी वाटिका की ओर बढाया.

मेरी ऊँगली को पकड़ कर अपने मोती पर रखा और निहायत ही चुदासे अंदाज़ में बोली..........'जोर से घिस घिस के मसल डालो इसे'......

ये सुनते ही मैंने ऊँगली के पोर से उसके दाने को जोर जोर से रगड़ने लगा........

वो भी हिल हिल कर बराबरी से योनी को ऊँगली पर चला रही थी........

उसकी गति तेज होती गई तो मैंने भी बड़ा दी...........ऊँगली में होने वाले हलके से दर्द की परवाह ना करते हुए उस उभरे दाने की सतत और तीव्र मालिश जारी रखी........

और फिर वो जोर से कांपी....... और थर थर्राने लगी......जैसे उसने नंगे तार को पकड़ लिया हो.

मैंने भी स्पीड फुल करदी. वो भरभरा के झड़ने लगी.

उसने अपनी चीखों को हर संभव नियंत्रित करने का प्रयास किया.

उसके शरीर में भयंकर ज़लज़ला आया हुआ था. जब उसके नितम्बों की गति में कुछ कमी आई तो मैं भी धीरे धीरे स्पीड कम करता चला गया.

अब ऊँगली से दाने को रुक रुक कर गोलाई में मसलने लगा......

हर घर्षण पर वो 'आफ्टर शाक' जैसे हलके झटके खा रही थी. धीरे धीरे ये झटके भी शांत हो गए.

मेरी हथेली पर जम कर पिचकारियाँ चली थी.

अब उसने इशारा किया तो मैंने तुरंत अपना हाथ बाहर खींचा .......वो सीधी हुई और अपनी पेंटी और जींस को ऊपर खींच लिया और अच्छे से पहन लिया....और फिर बिना मुझसे नज़रें मिलाये बाथरूम की और बढ चली.

मैं भी सीधा हुआ और आसपास देखा.........कोई नहीं था......

1 comment:

  1. Hi Mera naam Khusbu hai aur meri shadi aaj se 3 saal pehle Vimal se hui thee. Vimal meri maa ki saheli ka beta hai. Vo ek business company mein job karta hai aur aksar tour par rehta hai. Hamari sex life theek thak chal rahi thee. Shadi se pehle....Read more>>
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