‘हंस लो तुम भी, आज तो किस्मत ही खराब है.’..........मैं थोड़ा रूठते हुए बोला.
उसने गाल पर प्यारा सा चुम्मा देते हुए कहा..........’बहुत अच्छी किस्मत है जिसने हमें मिलाया है आज. देखते जाओ, तुम्हे जरा सी भी शिकायत नहीं रह जायेगी.
‘हाँ लग तो कुछ ऐसा ही रहा है’.........और हम दोनों हंस दिए.
‘आयशा, सबसे पहले मैं तुम्हे अच्छे से फील करना चाहता हूँ. मेरी मन की आँखे हाथों के माध्यम से तुम्हे देखेगी.’...........मैंने सुझाव दिया.
‘वॉव, सुभानअल्लाह..........तो फिर देर किस बात की है’........वो चहकते हुए बोली.
उसने गाल पर प्यारा सा चुम्मा देते हुए कहा..........’बहुत अच्छी किस्मत है जिसने हमें मिलाया है आज. देखते जाओ, तुम्हे जरा सी भी शिकायत नहीं रह जायेगी.
‘हाँ लग तो कुछ ऐसा ही रहा है’.........और हम दोनों हंस दिए.
‘आयशा, सबसे पहले मैं तुम्हे अच्छे से फील करना चाहता हूँ. मेरी मन की आँखे हाथों के माध्यम से तुम्हे देखेगी.’...........मैंने सुझाव दिया.
‘वॉव, सुभानअल्लाह..........तो फिर देर किस बात की है’........वो चहकते हुए बोली.
मैंने अपने हाथ उसके सर पर रख दिए और उसकी जुल्फों से खेलने लगा.
धीरे धीरे उसके पीठ तक फैले खुले बालों में हाथ फिराता रहा. इन खुली हुई घनी रेशमी जुल्फों में क्या सेक्सी लगती होगी.
अब पीठ से सारे बाल आगे कर दिए और उन्हें हाथों में भर उसमे मुंह घुसा कर लंबी सांस खींची.
मदमस्त खुशबू से मेरा मन अंगडाईयाँ लेने लगा.
फिर दोनों हाथों को कन्धों से होते हुए उसकी पीठ पर ले गया और उन्हें सहलाने लगा.
उसने अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रख दिए. मेरा गाल उसके गाल से टच हो रहा था.
अब मैं धीरे धीरे उसकी पूरी पीठ पर हाथ फिराने लगा या यूँ कहो कि मालिश ही करने लगा था.
उसकी सिल्की नाईटी के ऊपर से उसका बदन भी रेशमी महसूस हो रहा था.
मैंने उसको थोड़ा अपनी ओर खींचा तो हम दोनों के मुंह एक दूसरों के कन्धों पर टिक गए. उसने भी अपने हाथ मेरी गर्दन में लपेट दिए.
अब हौले से उसके उभार मुझे अपनी छाती पर महसूस होने लगे थे. मैं अपने कान से उसके नाजुक कान को छेड़ने लगा.
पूरी पीठ को अच्छे से सहलाने पर मुझे आभास हुआ कि उसका बदन भरा हुआ किन्तु ठोस है.
तो उसकी लेने में मुझे बहुत मज़ा आने वाला है. वो भी धीरे धीरे मेरी पीठ सहलाने लगी.
अब मैंने उसको पलटाया और उसके पीछे से सट गया. उसकी पीठ मेरे पेट एवं छाती से चिपक गई.
मेरा पप्पू उसकी कमर में मेरे टेरी-टॉवेल के गाउन की मोटी दीवार होने के बावजूद उसके पुट्ठों पर गड़ने लगा था.
उसने अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया. मेरी नाक उसकी घनी खुशबूदार जुल्फों से महक उठी.
अब मैंने अपनी हथेलियों को उसके फोरहेड पर रख कर उन्हें सहलाना चालू किया.
वहाँ से पलक पर, फिर मूंदी आँखों पर, फिर नाक पर और फिर दोनों गालों पर इस तरह से सहलाने लगा जैसे उसका फेशियल कर रहा हूँ.
उसका चेहरा बेदाग़ और चिकना था. उसके भरे हुए स्पोंजी गालों को मैंने ललचा कर एकबारगी खींच ही लिया.
उसके मुंह से जोर का आउउच निकला और उसने मेरा हाथ पकड लिया. मैंने हँस कर उसे सॉरी बोला.
अब उसकी चिन से होते हुए मेरी उँगलियाँ उसके नाजुक मांसल होंठो पर पहुंची.
अपनी उँगलियों के पोरों से उसके बंद होंठो को सहलाने लगा.
इधर मैं अपने होंठ उसके कान पर ले आया और गर्म सांसो को उनमे भरने लगा.
वो रह रह कर अपना कान मेरी नाक पर रगड़ने लगी.
अब उसके कान से होते हुए मैं उसके गाल पर आया और उसको पप्पी देने लगा.....
लगातार......कोई १५-२०......फिर मैंने उसके गाल को अपने मुंह में भर कर उसे गीला कर दिया.
उधर मैं अब अपनी उँगलियों से उसके होंठों को रगड़ कर मसलने लगा.
कभी ऊपर का होंठ तो कभी नीचे का होंठ. क्या गुदाज और मांसल होंठ थे.
तभी उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरी उँगलियाँ चाटने लगी.
उसकी नाज़ुक और मुलायम जीभ की मेरी उँगलियों पर हरकत से मेरे अंदर एकाएक हरकत हुई और मैं उसके कान में घुस गया और उसके इयर-लोब को चूसने लगा.
सनसनाहट के अतिरेक से वो अपना कान लगातार मेरे मुंह पर घिसने लगी.
उसकी जीभ और मेरी उँगलियों के द्वंद के बीच मैंने अपनी सारी उँगलियाँ उसके मुंह में घुसा दी.
मैं उँगलियों को उसके मुंह के हर हिस्से में घुमा रहा था.....जीभ पर, दांतो पर और अंदरूनी गालों में.
अब फिर मैंने उन्हें अंदर बाहर करने लगा और वो भी उन्हें मज़े से चूसने लगी.
मेरी सारी उँगलियाँ उसके थूक से सन चुकी थी और थोड़ा सा बह कर मेरे हाथ पर भी रिसने लगा था.
तभी मैंने अपने मुंह पर उसके हाथ को थिरकते पाया.
मैंने भी उसकी उँगलियों को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा. चूसने चूसते उसका पूरा हाथ ही थूक से लथेड़ दिया.
अब मैंने अपना हाथ उसके मुंह से बाहर निकला और उसके हिप पर ले गया.
उसकी नाइटी को पकड़ कर अब उससेअपना हाथ साफ किया. इस दौरान उसकी हिप पर एक चिकोटी भी काट ली जिससे वो चिहुंक उठी.
मैंने सॉरी बोला और उसके गाल की एक जोरदार गीली और मीठी सी पप्पी ली.
अब मैं अपने हाथ फिर उसके मुंह पर ले आया और अब पूरे मुंह को सहला-सहला कर स्केन करने लगा.
मैं अपने मन में उसके चेहरे की तस्वीर बना रहा था.
दिलो-दिमाग पर आयशा ऐसे हावी थी कि बस उसी की ही इमेज बन रही थी.
धीरे धीरे उसके पीठ तक फैले खुले बालों में हाथ फिराता रहा. इन खुली हुई घनी रेशमी जुल्फों में क्या सेक्सी लगती होगी.
अब पीठ से सारे बाल आगे कर दिए और उन्हें हाथों में भर उसमे मुंह घुसा कर लंबी सांस खींची.
मदमस्त खुशबू से मेरा मन अंगडाईयाँ लेने लगा.
फिर दोनों हाथों को कन्धों से होते हुए उसकी पीठ पर ले गया और उन्हें सहलाने लगा.
उसने अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रख दिए. मेरा गाल उसके गाल से टच हो रहा था.
अब मैं धीरे धीरे उसकी पूरी पीठ पर हाथ फिराने लगा या यूँ कहो कि मालिश ही करने लगा था.
उसकी सिल्की नाईटी के ऊपर से उसका बदन भी रेशमी महसूस हो रहा था.
मैंने उसको थोड़ा अपनी ओर खींचा तो हम दोनों के मुंह एक दूसरों के कन्धों पर टिक गए. उसने भी अपने हाथ मेरी गर्दन में लपेट दिए.
अब हौले से उसके उभार मुझे अपनी छाती पर महसूस होने लगे थे. मैं अपने कान से उसके नाजुक कान को छेड़ने लगा.
पूरी पीठ को अच्छे से सहलाने पर मुझे आभास हुआ कि उसका बदन भरा हुआ किन्तु ठोस है.
तो उसकी लेने में मुझे बहुत मज़ा आने वाला है. वो भी धीरे धीरे मेरी पीठ सहलाने लगी.
अब मैंने उसको पलटाया और उसके पीछे से सट गया. उसकी पीठ मेरे पेट एवं छाती से चिपक गई.
मेरा पप्पू उसकी कमर में मेरे टेरी-टॉवेल के गाउन की मोटी दीवार होने के बावजूद उसके पुट्ठों पर गड़ने लगा था.
उसने अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया. मेरी नाक उसकी घनी खुशबूदार जुल्फों से महक उठी.
अब मैंने अपनी हथेलियों को उसके फोरहेड पर रख कर उन्हें सहलाना चालू किया.
वहाँ से पलक पर, फिर मूंदी आँखों पर, फिर नाक पर और फिर दोनों गालों पर इस तरह से सहलाने लगा जैसे उसका फेशियल कर रहा हूँ.
उसका चेहरा बेदाग़ और चिकना था. उसके भरे हुए स्पोंजी गालों को मैंने ललचा कर एकबारगी खींच ही लिया.
उसके मुंह से जोर का आउउच निकला और उसने मेरा हाथ पकड लिया. मैंने हँस कर उसे सॉरी बोला.
अब उसकी चिन से होते हुए मेरी उँगलियाँ उसके नाजुक मांसल होंठो पर पहुंची.
अपनी उँगलियों के पोरों से उसके बंद होंठो को सहलाने लगा.
इधर मैं अपने होंठ उसके कान पर ले आया और गर्म सांसो को उनमे भरने लगा.
वो रह रह कर अपना कान मेरी नाक पर रगड़ने लगी.
अब उसके कान से होते हुए मैं उसके गाल पर आया और उसको पप्पी देने लगा.....
लगातार......कोई १५-२०......फिर मैंने उसके गाल को अपने मुंह में भर कर उसे गीला कर दिया.
उधर मैं अब अपनी उँगलियों से उसके होंठों को रगड़ कर मसलने लगा.
कभी ऊपर का होंठ तो कभी नीचे का होंठ. क्या गुदाज और मांसल होंठ थे.
तभी उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरी उँगलियाँ चाटने लगी.
उसकी नाज़ुक और मुलायम जीभ की मेरी उँगलियों पर हरकत से मेरे अंदर एकाएक हरकत हुई और मैं उसके कान में घुस गया और उसके इयर-लोब को चूसने लगा.
सनसनाहट के अतिरेक से वो अपना कान लगातार मेरे मुंह पर घिसने लगी.
उसकी जीभ और मेरी उँगलियों के द्वंद के बीच मैंने अपनी सारी उँगलियाँ उसके मुंह में घुसा दी.
मैं उँगलियों को उसके मुंह के हर हिस्से में घुमा रहा था.....जीभ पर, दांतो पर और अंदरूनी गालों में.
अब फिर मैंने उन्हें अंदर बाहर करने लगा और वो भी उन्हें मज़े से चूसने लगी.
मेरी सारी उँगलियाँ उसके थूक से सन चुकी थी और थोड़ा सा बह कर मेरे हाथ पर भी रिसने लगा था.
तभी मैंने अपने मुंह पर उसके हाथ को थिरकते पाया.
मैंने भी उसकी उँगलियों को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा. चूसने चूसते उसका पूरा हाथ ही थूक से लथेड़ दिया.
अब मैंने अपना हाथ उसके मुंह से बाहर निकला और उसके हिप पर ले गया.
उसकी नाइटी को पकड़ कर अब उससेअपना हाथ साफ किया. इस दौरान उसकी हिप पर एक चिकोटी भी काट ली जिससे वो चिहुंक उठी.
मैंने सॉरी बोला और उसके गाल की एक जोरदार गीली और मीठी सी पप्पी ली.
अब मैं अपने हाथ फिर उसके मुंह पर ले आया और अब पूरे मुंह को सहला-सहला कर स्केन करने लगा.
मैं अपने मन में उसके चेहरे की तस्वीर बना रहा था.
दिलो-दिमाग पर आयशा ऐसे हावी थी कि बस उसी की ही इमेज बन रही थी.
अब मैंने उसकी नाइटी की ज़िप पीछे
से थोड़ी खोली और नाइटी से उसके दोनों हाथ निकाल दिए और उसके दोनों कंधे नंगे कर
दिए.
अब दोनों हाथों के उसके गले पर फिराने लगा.
वहाँ से दोनों कंधो पर आया और अपना मुंह वहाँ रख कर चूमने लगा.
चूमते चूमते उसकी गर्दन पर आया और फिर नंगी पीठ पर.
वहाँ से दूसरे कंधे पर. इतने प्यार से चूम रहा था कि वो सिसकने लगी.
फिर उसकी एक बांह ऊपर की और उसके आर्म-पिट में अपना मुंह घुसा दिया.
उसके बदन की खुशबू, डियो की स्मेल के साथ मिक्स होकर मुझे मदहोश करने लगी.
मैं उसके चिकनी बगल को चाटने लगा.
फिर दूसरी बगल में घुस कर उसे भी चाट चाट कर गीला कर दिया. वो बहुत ऊंह-आह करने लगी.
अब उसने दोनों हाथ ऊपर किये और मोड़ कर मेरे सर के पीछे टिका दिए.
मैंने अपने दोनों हाथ नीचे किये और उन्हें उसके पेट पर नाइटी के ऊपर से फिराने लगा. क्या मुलायम और पतला पेट था.
कुछ देर अछे से सहलाने के बाद अब बारी थी उसके सबसे खास अंग को फतह करने की.
पता नहीं इतनी स्लिम है, उसके बूब्स भी कहीं एकदम छोटे हुए तो......
अब जो भी हो कुचलना तो है ही उन्हें.
मेरे हाथ उसके सीने के उपरी भाग पर काबिज हुए और वहाँ से मसलते मसलते नीचे की ओर बढने लगे.
नीचे का बदन नाइटी में ढंका हुआ था. हाथ वहाँ पहुंचे जहाँ से पहाड के चढाई शुरू होती है.
मन में यही आ रहा था कि एकदम छोटे छोटे टप्पू निकलेंगे. और जैसे ही अपने कांपते हाथ नीचे को सरकाए एकदम खड़ी चढाई महसूस हुई.
हाथ सरकते चले गए और चढाई भी बढती चली गई. मैं आश्चर्यचकित.
और जब हाथ चोटी पर पहुंचा तो लगा कि मैं तो कंचनजंगा की गगनचुम्बी ऊंचाई पर आ गया हूं.
फिर हाथों को चारो ओर घुमा कर उसके ढलानों की वक्रियता को नापने लगा.
ये तो दो बड़े बड़े टापू थे. मैंने अपने दोनों हथेलियों में उन्हें भरना चाहा तो हाथ में ही नहीं आये. ये तो बहुत बड़े माउन्ड्स हैं.
उन्हें दबाया तो एकदम कड़क लगे. फिर तो उन पहाड़ों को बुरी तरह खंगालने लगा.
फिर मैंने उन दोनों तरबूजों के साथ वो सब किया जो जो संभव था मसलन-
pressing, pumping, fondling, squeezing, pinching, twisting, rubbing, massaging, patting, crushing.......
stroking, taping, thumping, mashing, draining, grasping, compressing, wringing, mangling, pounding, mauling………
और एक शब्द में कहें तो ...’molesting’. ............ बाईस तरह से प्यार किया.
चूंचियों के मर्दन पर तो वो कांपने लगी और मेरे गाल पर चुम्मियों की बौछार कर दी.
फिर जब उसकी सहनशक्ति जवाब दे गई तो उसने मेरे दोनों हाथ थामे और पहाड़ के ढलान से फिसलती हुई एकबार फिर पेट की तराई के ओर ले चली.
तो इस तरह काश्मीर से शुरू हुआ सफर दक्षिणी महाराष्ट्र तक आ पहुंचा था. अब बारी थी साउथ इंडिया के सैर की.
अब वो मेरी ओर घूम गई. उसकी खुशबूदार सांसे मेरे नथुनों में ताजगी पैदा करने लगी.
मेरे होंठ मदहोश से उसके होंठो से जा लगे और जैसे ही उन्हें चूसता उससे पहले ही वो बोली.....’ये अभी नहीं.’
और फिर मेरे कन्धों को दबाते हुए नीचे बैठने का इशारा किया. मैं सरकता हुआ नीचे बैठ गया.
उसकी नाइटी एकदम माइक्रो थी, जरा सी जांघे ही ढंक पा रही थी.
मैं उसकी चिकनी जांघों पर अपने हाथ फिराने लगा. दोनों जांघों को सहलाने के बाद उन्हें बेतहाशा चूमने लगा.
दोनों हाथों से उसके पुट्ठे पकड़ कर उन्हें दबाने लगा. फिर हाथ थोड़े से नीचे सरकाकर नाइटी के अंदर ले जाते हुए उसके नंगे पुट्ठों को भींचने लगा.
उसकी योनी से ताज़े रस-फुहार की खुशबू आने लगी थी जो मुझे बहुत पागल बना रही थी.
मैंने अपना मुंह नाइटी के ऊपर से ही उसकी योनी पर रख दिया. वो जोर से सिसक पड़ी.
मैंने उसकी नाइटी का कोना पकड़ा और ऊपर कर दिया. रसीली योनी अब मेरे मुंह के सामने थी. मैंने अपना मुंह उसमे घुसा दिया.
वो एकदम पगला सी गई और उसके दोनों हाथ सहज ही मेरे सर पर आ गए. मैं उसकी योनी में घुसता चला गया.
मैं यद्यपि माँसाहारी नहीं हूं फिर भी इन मुलायम मांस की बोटियों से कोई भी परहेज़ नहीं.
हर लटकन को होंठों में दबा दबा कर चूसने लगा. उसके दोनों बाहरी होंठ, फिर अंदरूनी कोमल होंठ और उसका दाना ..........सब को कस कस के चूसने लगा.
फिर जीभ से उसका दाना कुरेदने लगा............
कुछ देर सहन करने के बाद अचानक वो चीखी........’नो ओओओओओओओओ’, .......
और फिर उसने मेरा सर पकड़ा और मुझे खीच कर ऊपर उठा लिया.
जैसे ही मुंह उसके मुंह पर आया मैंने दोनों हाथों से उसका चेहरा थामा और मुंह में मुंह घुसेड दिया.
उसके रसभरे गुदगुदे होंठों पर टूट पड़ा और जबरदस्त चुसाई शुरू कर दी.
मेरे होंठों पर लगी उसके यौवन की निशानी को उसके मुंह में ट्रांसफर करता चला गया.
वो भी बहुत गरम हो चुकी थी लिहाजा वो भी मेरे मुंह में अंदर तक अपनी जीभ घुसा रही थी.
इधर चुसाई चल रही थी और उधर दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन का जायजा लेने लगे
अब कपड़े अड़चन महसूस होने लगे थे. तो उसने मेरे बाथ गाउन की नॉट खोली और उसे
खोल कर मुझे पूरा नंगा कर दिया. अब दोनों हाथों के उसके गले पर फिराने लगा.
वहाँ से दोनों कंधो पर आया और अपना मुंह वहाँ रख कर चूमने लगा.
चूमते चूमते उसकी गर्दन पर आया और फिर नंगी पीठ पर.
वहाँ से दूसरे कंधे पर. इतने प्यार से चूम रहा था कि वो सिसकने लगी.
फिर उसकी एक बांह ऊपर की और उसके आर्म-पिट में अपना मुंह घुसा दिया.
उसके बदन की खुशबू, डियो की स्मेल के साथ मिक्स होकर मुझे मदहोश करने लगी.
मैं उसके चिकनी बगल को चाटने लगा.
फिर दूसरी बगल में घुस कर उसे भी चाट चाट कर गीला कर दिया. वो बहुत ऊंह-आह करने लगी.
अब उसने दोनों हाथ ऊपर किये और मोड़ कर मेरे सर के पीछे टिका दिए.
मैंने अपने दोनों हाथ नीचे किये और उन्हें उसके पेट पर नाइटी के ऊपर से फिराने लगा. क्या मुलायम और पतला पेट था.
कुछ देर अछे से सहलाने के बाद अब बारी थी उसके सबसे खास अंग को फतह करने की.
पता नहीं इतनी स्लिम है, उसके बूब्स भी कहीं एकदम छोटे हुए तो......
अब जो भी हो कुचलना तो है ही उन्हें.
मेरे हाथ उसके सीने के उपरी भाग पर काबिज हुए और वहाँ से मसलते मसलते नीचे की ओर बढने लगे.
नीचे का बदन नाइटी में ढंका हुआ था. हाथ वहाँ पहुंचे जहाँ से पहाड के चढाई शुरू होती है.
मन में यही आ रहा था कि एकदम छोटे छोटे टप्पू निकलेंगे. और जैसे ही अपने कांपते हाथ नीचे को सरकाए एकदम खड़ी चढाई महसूस हुई.
हाथ सरकते चले गए और चढाई भी बढती चली गई. मैं आश्चर्यचकित.
और जब हाथ चोटी पर पहुंचा तो लगा कि मैं तो कंचनजंगा की गगनचुम्बी ऊंचाई पर आ गया हूं.
फिर हाथों को चारो ओर घुमा कर उसके ढलानों की वक्रियता को नापने लगा.
ये तो दो बड़े बड़े टापू थे. मैंने अपने दोनों हथेलियों में उन्हें भरना चाहा तो हाथ में ही नहीं आये. ये तो बहुत बड़े माउन्ड्स हैं.
उन्हें दबाया तो एकदम कड़क लगे. फिर तो उन पहाड़ों को बुरी तरह खंगालने लगा.
फिर मैंने उन दोनों तरबूजों के साथ वो सब किया जो जो संभव था मसलन-
pressing, pumping, fondling, squeezing, pinching, twisting, rubbing, massaging, patting, crushing.......
stroking, taping, thumping, mashing, draining, grasping, compressing, wringing, mangling, pounding, mauling………
और एक शब्द में कहें तो ...’molesting’. ............ बाईस तरह से प्यार किया.
चूंचियों के मर्दन पर तो वो कांपने लगी और मेरे गाल पर चुम्मियों की बौछार कर दी.
फिर जब उसकी सहनशक्ति जवाब दे गई तो उसने मेरे दोनों हाथ थामे और पहाड़ के ढलान से फिसलती हुई एकबार फिर पेट की तराई के ओर ले चली.
तो इस तरह काश्मीर से शुरू हुआ सफर दक्षिणी महाराष्ट्र तक आ पहुंचा था. अब बारी थी साउथ इंडिया के सैर की.
अब वो मेरी ओर घूम गई. उसकी खुशबूदार सांसे मेरे नथुनों में ताजगी पैदा करने लगी.
मेरे होंठ मदहोश से उसके होंठो से जा लगे और जैसे ही उन्हें चूसता उससे पहले ही वो बोली.....’ये अभी नहीं.’
और फिर मेरे कन्धों को दबाते हुए नीचे बैठने का इशारा किया. मैं सरकता हुआ नीचे बैठ गया.
उसकी नाइटी एकदम माइक्रो थी, जरा सी जांघे ही ढंक पा रही थी.
मैं उसकी चिकनी जांघों पर अपने हाथ फिराने लगा. दोनों जांघों को सहलाने के बाद उन्हें बेतहाशा चूमने लगा.
दोनों हाथों से उसके पुट्ठे पकड़ कर उन्हें दबाने लगा. फिर हाथ थोड़े से नीचे सरकाकर नाइटी के अंदर ले जाते हुए उसके नंगे पुट्ठों को भींचने लगा.
उसकी योनी से ताज़े रस-फुहार की खुशबू आने लगी थी जो मुझे बहुत पागल बना रही थी.
मैंने अपना मुंह नाइटी के ऊपर से ही उसकी योनी पर रख दिया. वो जोर से सिसक पड़ी.
मैंने उसकी नाइटी का कोना पकड़ा और ऊपर कर दिया. रसीली योनी अब मेरे मुंह के सामने थी. मैंने अपना मुंह उसमे घुसा दिया.
वो एकदम पगला सी गई और उसके दोनों हाथ सहज ही मेरे सर पर आ गए. मैं उसकी योनी में घुसता चला गया.
मैं यद्यपि माँसाहारी नहीं हूं फिर भी इन मुलायम मांस की बोटियों से कोई भी परहेज़ नहीं.
हर लटकन को होंठों में दबा दबा कर चूसने लगा. उसके दोनों बाहरी होंठ, फिर अंदरूनी कोमल होंठ और उसका दाना ..........सब को कस कस के चूसने लगा.
फिर जीभ से उसका दाना कुरेदने लगा............
कुछ देर सहन करने के बाद अचानक वो चीखी........’नो ओओओओओओओओ’, .......
और फिर उसने मेरा सर पकड़ा और मुझे खीच कर ऊपर उठा लिया.
जैसे ही मुंह उसके मुंह पर आया मैंने दोनों हाथों से उसका चेहरा थामा और मुंह में मुंह घुसेड दिया.
उसके रसभरे गुदगुदे होंठों पर टूट पड़ा और जबरदस्त चुसाई शुरू कर दी.
मेरे होंठों पर लगी उसके यौवन की निशानी को उसके मुंह में ट्रांसफर करता चला गया.
वो भी बहुत गरम हो चुकी थी लिहाजा वो भी मेरे मुंह में अंदर तक अपनी जीभ घुसा रही थी.
इधर चुसाई चल रही थी और उधर दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन का जायजा लेने लगे
मैंने भी उसी चुम्बन-रत अवस्था में ही उसकी नाइटी को उसके बोबों पर से खींच कर नीचे सरका दिया.
उसके ढाई ढाई किलो के मम्मे मेरे सीने पर आ लगे और मैंने उसे कस के बाँहों में जकड़ लिया.
वो भी मुझे भींचने लगी. दोनों की गर्मी इतनी बढ़ने लगी के लगा दोनों एक दूसरे में समां जायेंगे.
चुम्बन क्रिया अभी भी जारी थी. वो अपने तरबूजों को मेरे सीने पे रगड़ने लगी.
उसकी चुन्ची जब भी मेरी चुन्ची को रगडती एक करंट सा दौड़ रहा था जो मेरे पप्पू को बहुत विचलित करने लगा था.
वो भनभना कर उसकी योनी पर सट गया और वहाँ फडकने लगा. थोड़ा नीचे होकर उसके दाने को पीसने लगा.
उसने मेरा मुंह पकड़ा और होंठों को आज़ाद करते हुए उसे अपनी छाती में घुसा दिया.
एकबारगी तो बब्बू की इतनी मोटाई पर मेरा मुंह उलझ कर रह गया.
पगला कर यहाँ वहाँ चूमने लगा पर नुक्के नहीं मिल पा रहे थे.
कभी एक पर्वत पर तो कभी उस पर, होंठों और जीभ से चुसाई और चटाई जारी थी, पर चुच्ची कहाँ गई.
और अचानक मुंह एक बड़ी मोटी और बोठी कील से टकराया. अरे ....इतनी बड़ी और कड़क चुन्ची....
और अगले ही पल वो मेरे मुंह में गुम हो गई. मैं जोर जोर से चूसने लगा.
फिर दूसरे पर्वत पर आकार वहाँ भी दूसरे नुक्के को फतह किया. दूध निकालने का पूरा प्रयास...इतनी कस के चुसाई हो रही थी.
अचानक उसने मुझे अलग किया और बैठ गई और मेरे हष्ट-पुष्ट पप्पू को हाथों में थाम कर उसके मुंह के हवाले कर दिया और चूसने लगी.
वो अपने हाथ भी साथ ही साथ चला रही थी पप्पू पर. पप्पू इस दोहरे हमले से पूरे फार्म में आ गया और पूरा तन्ना गया.
वो पप्पू को पूरा अपने में समां लेने का प्रयास कर तो रही थी पर संभव नहीं हो पा रहा था लिहाज़ा वो सुपाड़े पर कस के चूसने लगी...........
मुट्ठी से मुठियाते हुए सुपाड़े पर तेज़ मुलायम घिसाई..........वाकई कमाल का फीलिंग आ रही थी.
मैंने उसके चेहरे को पकड़ लिया और कस के मुख-मैथुन करने लगा.
इस प्रयास में एक बार पप्पू उसके गले तक पहुँच गया और वो झटके से अलग हो गई. उसे उबकाई सी आ गई थी. वो उठ खड़ी हुई.....
मैंने उसे सॉरी बोला तो वो मुझ से डाली की तरह चिपक गई. मेरा पप्पू एक बार फिर उसकी योनी पर जा लगा.
योनी से झरती रस की बूंदों के बीच, पप्पू पूरा गीला हो चूका था.
मैंने हिलना चालू कर दिया. पप्पू उसकी योनी पर ऊपर से नीचे तक घूमने लगा.
ऐसे ही रगड़ते रगड़ते पप्पू उस चिकनाई में फिसला और उसके छेद में एक इंच घुस गया.
वो पगला तो रही ही थी, उसने आव देखा ना ताव, मेरी हिप को पकड़ा और चूतड़ को धक्का मारा.
मेरा आधा पप्पू एक ही झटके में उसके अंदर.
मैंने उसकी जांघों को पीछे से पकड़ कर उसे अपने ऊपर चड़ा लिया.
उसने दोनों पैर मेरी कमर पे लपेटे और नीचे की जोर लगाया.
मेरा पप्पू पूरा अंदर सरक गया. थोड़ा हिल्हिला कर हम दोनों ने पप्पू को योनी में एकदम अडजस्ट कर लिया.
Hi Mera naam Khusbu hai aur meri shadi aaj se 3 saal pehle Vimal se hui thee. Vimal meri maa ki saheli ka beta hai. Vo ek business company mein job karta hai aur aksar tour par rehta hai. Hamari sex life theek thak chal rahi thee. Shadi se pehle....Read more>>
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