3 Feb 2013

सिलसिला 10

अब मैं थोड़ा उठा और अपने दोनों हाथ उसकी जांघों पर कसी चड्डी की लाइनिंग में से अंदर घुसाये.

तुरंत ही वो उसकी रिसती हुई चिकनी योनी पर पहुँच गए. सफाचट योनी थी. मैं अपने हाथों से उसकी मालिश करने लगा.

फिर दायें हाथ के अंगूठे से उसके दाने को रगड़ने लगा और बाएं हाथ से पूरी योनी को गूंधने लगा.

फिर जैसे ही एक ऊँगली उसकी रस की कटोरी में डुबोई वो फडफडाने लगी. कुछ देर यूँ ही हाथों से उसकी जवानी से खिलवाड़ करता रहा.

अब अपने गीले हाथों को उसकी काली चड्डी के सूखे भाग से रगड़ रगड़ कर सुखाया.

अब तक वो इतनी तड़पने लगी थी कि दोनों टांगो को फिर से एक करके ऊपर नीचे करते हुए योनी को मसलने लगी.

ऊपर अजय ने उसके मुंह में अपना डंडा ऐसा ठूंस रखा था कि उसकी हर चीख गले में ही फँस कर रह जाती थी.

अब मैंने एक बार फिर उसकी टांगो को खोला और झटके से जांघों के बीच अपना मुंह घुसा दिया.

क्या करूँ, काली चड्डी मेरी कमजोरी है और मुझे लगता है बस उसी में घुसे रहो.

अब अपनी नाक उसके दाने पर टिकाई और होंठ योनी के खांचे में घुसा दिए.

अब धीरे धीरे मैंने अपने मुंह को वहाँ पर वायब्रेट करना शुरू किया.

उसके मुंह में अजय का हथियार होने की वजह से उसके चीखने की आवाज़ बस गूं गूं होकर रह गई.

फिर वाइब्रेशन में तेज़ी लाते हुए रुक रुक कर घसा-घसी करने लगा.

एक बार में तीन-चार सेकेंड के लिए जोर से हिनहिनाता और फिर रुक जाता.

मैं अपने हिनहिनाने की स्पीड बढ़ाते ही जा रहा था. झकोलता फिर रुक जाता. ऐसे रुक रुक कर उसकी योनी का मर्दन कर था.

अब मैं रुकने का समय बदलने लगा. कभी तीन-चार सेकण्ड की मोहलत देता, कभी १० सेकण्ड और कभी और ज्यादा.

अभी वो समझ ही नहीं पा रही थी कि कब मैं आक्रमण करूँगा और कब रुकूँगा.

इसके चलते उसकी पूरी कांशियसनेस उसकी योनी पर सिमट आई और उसके मज़े में कई गुना बढोतरी हो गई थी.

रुक रुक कर होने वाले योनी मर्दन पर उसे जोर जोर के झटके लगने लगे थे.

फिर अचानक ही मैंने एक बार जो हिनहिनाना शुरू किया तो बस मसलता ही चला गया. तेज़ से भी तेज़.

वो पागल होने लगी. बहुत जोर जोर से गूं गूं की आवाजें निकालने लगी.

अब वो अपने बस में नहीं थी और अपने पैर मेरी पीठ पर जोर जोर से पटकने लगी.

मैंने उसके दोनों पैर ही दबा लिए. अब वो फिक्स हो गई और बस हलक में ही चीख पा रही थी.

मेरी नाक में तीखी गंध घुस रही थी और पूरा का पूरा मुंह उसकी चिकनाई से सराबोर हो चूका था पर मैं अपने नाक और मुंह से उसकी योनी की घिसाई करता ही चला गया.

और अब उसका रुकना मुश्किल था. वो थर्थार्राने लगी और फिर झटके मार मार के झड़ने लगी.

बड़ी देर तक वो झडती रही. फिर वो धीरे धीरे ढीली पड़ गई.

अब मैं हटा और फिर उसकी गीली चड्डी को नीचे खींचा. ये उसकी योनी के प्रथम दर्शन थे.


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