4 Feb 2013

सिलसिला 17




दिन के १० बज चुके थे. मैं नाश्ते के लिए उसी रेस्तरां अल-नखीलमें गया जो सपने में देखा था.

बहुत वेक्यूम सा लग रहा था. एक साथ इतनी सारी हीरोइन तो हाथ से निकली ही निकली वो डायमंड भी हाथ से गए.

और हाँ, वो आक्शन गर्ल, उसे तो सपने में भी निपटा नहीं पाया.

मैंने अपने आप से प्रश्न किया. कल रात ज़रीन के साथ गुज़ारा समय और रात सपने में उड़ाए गुलछर्रे, दोनों में क्या फर्क है.

दोनों ही डेड हो चुके हैं और दोनों ही स्मृति का हिस्सा भर हैं. दोनों की याद बराबर गुदगुदा रही है.

बल्कि सपने वाली ज्यादा गुदगुदा रही है...... याने कि कोई फर्क नहीं......

गुज़रा समय भी सपने की ही मानिंद हो जाता है....... दोनों का ही कोई अस्तित्व नहीं अब .......

इसीलिए जो जानते है वो कहते है कि पास्ट से कोई अटेचमेंट ना रखते हुए सिर्फ और सिर्फ इस पल में जीना चाहिए. खैर..............

आज का दिन पूरा फ्री है.......कोई साथी भी नहीं.......क्यों ना नए क्लाइंट से बात की जाय, हो सकता है वो कोई जुगाड कर दे आज का.

मैं फोन लगाता हूं. सामान्य शिष्टाचार के बाद मैं मुद्दे की बात पर आता हूं.

वो मुझे अच्छी एस्कार्ट सर्विस से कोई बढ़िया लड़की उपलब्ध कराने की बात करता है.

मैं प्रोफेशनल लड़की के लिए मना करता हूं तो वो बोलता है कि आप इंतज़ार करो, आधे घंटे में आपको नान-प्रोफेशनल लड़की हाज़िर जो जायेगी.

***

रूम की बेल बजती है. दरवाजा खोला तो एक सुन्दर लड़की सलवार कुर्ते में नज़र आती है.

अपना परिचय वो सुनयना कह कर देती है. उसे अंदर सोफे पर बैठा कर उसके सामने बैठ जाता हूं.

आप हमारी कंपनी से नाता जोड़ रहे हैं इसकी हमें बहुत खुशी है. मैं एम.डी. सर की सेक्रेटरी हूं और उन्होंने मुझे आपको कंपनी देने के लिए भेजा है.’........सुनयना ने पूरा परिचय दिया.

थेंक यू सुनयना, बट ऐसा लगता है कि आप मजबूरी फील कर रही हैं यहाँ आने की’.....मैंने उसका चेहरा पढ़ते हुए कहा.

नहीं सर ऐसी कोई बात नहीं है, आपको कोई शिकायत का मौका नहीं दूँगी, आप निश्चिन्त रहिये.

नहीं सुनयना, मैं आपकी इच्छा के खिलाफ कुछ भी नहीं करूँगा. चलिए आप मुझे दुबई घुमाइये.

नहीं सर, आप विश्वास कीजिये मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, आप आदेश कीजिये.

सच कह रही हो.............. चलो तुरंत अपने सारे कपड़े निकालो.’....मैंने उसकी आँखों में आँखे डाल कर कहा.

उसने अपनी निगाहें झुका ली. वो कुछ एकदम जड़ हो गई.

मैं उसके पास जाता हूं और उसके दोनों कंधे पकड़ता हूं. वो निगाहें ऊपर करती है.

उसकी आँखों में पानी आ जाता है. मैं आँखों से उसे निश्चिन्त रहने का इशारा करता हूं.

आप कहीं एम.डी. सर से बोल तो नहीं देंगे, वरना वो नाराज़ हो जायेंगे.’......उसने पूछा.

सुनयना, तुम बिलकुल भी डरो मत, मैं तुम्हारी बहुत तारीफ़ करूँगा उनसे.

थेंक यू सर.

इट्स आल राईट सुनयना. पर ये बताओ कि जो मैं पूछूँगा उसका सही सही जवाब दोगी.

जी आप कुछ भी पूछिये.

मैं समझता हूं कि तुम कई बार सेक्स कर चुकी हो, तो फिर सेक्स से घबरा क्यों रही हो.’....मैं पूछता हूं.

हाँ सर, मुझे रेगुलर सेक्स करना पड़ता है, पर किससे करना है ये चुनाव मेरे हाथ में नहीं होता है. या तो सर का बिस्तर गरम करना होता है या उनके मेहमान का, ऐसे भी कहीं सेक्स का मज़ा आ पाता है.’...वो बोली.

तो इसका मतलब तुम्हे सिर्फ और सिर्फ दूसरे को ही खुश करना होता है, शायद सामने वाला तुम्हारी फीलिंग्स का कोई ख्याल नहीं करता होगा. है ना ‘......मैंने फिर पूछा.

इस बार वो कुछ बोल नहीं पाई और सिर्फ सिर हिलाकर हाँ मैं जवाब दिया और फिर अपनी हथेलियों से अपना चेहरा ढँक लिया. जब हाथ हटाया तो उसके चेहरे से बड़ी बेचारगी झलक रही थी.

मैं उठकर फिर सामने बैठ जाता हूं. कुछ देर सिर्फ उसे देखता रहता हूं. वो कभी नीचे देखती तो कभी मुझे.

मैं उठकर कॉफी का आर्डर देता हूं. कुछ देर मैं चुप रहता हूं.

वो बाथरूम चली जाती है. जब वो वापिस बाहर आती है तब तक कॉफी आ चुकी होती है.

वो तुरंत कॉफी तैयार करती है. हम दोनों कॉफी पीने लगते हैं. मैं जब उसपर से नज़रें नहीं हटाता हूं तो उसे हलकी सी हंसी आ जाती है.

ऐसे क्यों देख रहे हैं आप मुझे. मेरी नादानी पर हंसी आ रही है ना आपको.’.......वो काफी संयत हो चुकी थी.

नहीं ऐसी बात नहीं है.........बस आज तक तुम्हारी जैसी लड़की नहीं मिली मुझे इसलिए तुम्हे जी भर के देख रहा हूं.’ ......... मैं जवाब देता हूं.

आप जैसा भी मैंने कोई नहीं देखा है. आप बहुत अच्छे हैं.’........वो निगाहें झुकाती हुई बोली.

चलो आगे पूछता हूं. तुम्हारे एम.डी. बिस्तर में कैसे पेश आते हैं तुम्हारे साथ.

वो सिर्फ अपना ही ख्याल करते हैं. मुझे तो बस वो खिलौना समझ कर खेलते हैं.

और बाकि उनके मेहमान.

वो तो मुझे बाजारू समझ कर बर्ताव भी बुरा करते हैं. सब कुछ सहन करना पड़ता है.

तो फिर ऐसी नौकरी क्यों कर रही हो.

एम.डी. सर बहुत दयालु इंसान है. उन्होंने मेरे परिवार के लिए मुंबई में घर खरीद कर दिया है. और भी बहुत
अहसान है तो बस वो ही चुका रही हूं.

तो क्या तुम्हे ओर्गास्म नहीं होता है जब भी ऐसे सेक्स करती हो.

सच बताऊँ, मजबूरी में कभी भी ओर्गास्म नहीं होता है.

और अगर वो बहुत लंबा चले तब भी नहीं, कभी तो तुम्हारी छूट होती होगी.’.....मेरे प्रश्न जारी थे.

शुरू से ही नेगेटिव माइंड-सेट हो जाता है, तो हालाँकि दोनों पैर तो खुल जाते हैं मजबूरी में पर मन नहीं खुल पता है.
बस यही कारण है कि ओर्गास्म नहीं हो पता है. पहले कभी होता था पर आजकल तो बिलकुल नहीं.’......वो बताती है.

इसका मतलब तुम सेक्स से विरक्त होती जा रही हो. ये तो अच्छी बात नहीं है.........अभी तो तुम्हारी शादी भी होनी है........ऐसे कैसे चलेगी लाइफ.

अब जैसे भी चले काटनी तो पड़ेगी ही.

अच्छा ये बताओ तुम्हे क्या याद आता है, कब तुमने आखिर बार सेक्स को एन्जॉय किया था.

साल भर से तो ऊपर ही हो गए होंगे.

तुम्हारा मन नहीं करता है.

सच बताऊँ, बहुत करता है.......कभी कभी तो मुझे अपने आप को शांत करना पड़ जाता है.

तो तुम क्या सोचती हो कि किस परिस्थिति में तुम सेक्स का भरपूर मज़ा ले सकती हो.’...मैं इस तरह की लड़की की मानसिकता जानना चाह रहा था.

वो थोड़ा सकुचाती है. परन्तु फिर बताने लगती है.........

मुझे कोई बहुत प्यार करे और मैं बिलकुल डूब जाऊं उसमे तो फिर उसके साथ जो सेक्स होगा वो बहुत आनंददायक होगा. पर ये सिर्फ मेरी सोच है, शायद यथार्थ में ऐसा संभव नहीं है.

मैं उसकी आँखों में फिर से झाँकने लगता हूं.

कुछ ही देर में उसकी निगाहें फिर से झुक जाती है. वो जब फिर नज़रें उठती है तो मुझे अपने में डूबा पाती है.

आप फिर ऐसे क्यों देखने लगे मुझे.
______________________________
इसलिए कि तुम जैसी कोई दिखी नहीं मुझे कभी.’.......और उसकी आँखों में झांकते झांकते उसकी ओर बढता हूं. 

और फिर उसके पैर के पास बैठ कर उसकी गोद में अपने हाथ रख देता हूं.

नज़रें अभी भी उनकी आँखों में ही थी. अब वो भी अपलक मुझे ही देख रही थी.

अचानक वो अपने हाथ मेरी आँखों पर रख देती है. मेरी आँखे बंद हो जाती है.

अब मैं अपना सर उसकी गोद में रख कर उसके पैरों को बड़े ही प्यार से पकड़ लेता हूं.

उसके हाथ स्वमेव ही मेरे सर पर आ जाते हैं.

कुछ देर हम इसी अवस्था में रहते हैं.

फिर पता नहीं उसे क्या होता है वो अपने हाथों से मेरे बालों को हौले से सहलाने लगती है.

मुझे बहुत अच्छा फील होता है. मैं उसकी गोद को और कस के पकड़ लेता हूं. वो काफी देर तक मेरा सर सहलाती रहती है.

दस मिनट ऐसे ही निकल जाते हैं.

अचानक वो बोलती है........क्या मैं आपको सर के बजाय आपके नाम से बुला सकती हूं.

मैं अचानक चौंक कर उठता हूं ......ऑफ कोर्स, माय प्लेज़र.

अभि आप बहुत अच्छे हो. आप सबसे अलग लगे मुझे.’....अब उसके बाल सहलाते हाथ मेरे चेहरे की ओर बढ़ चले.

मैं मुस्कुरा देता हूं. वो हथेली में मेरा चेहरा थाम लेती है. 

मैं उठ कर उसके बराबर सोफे पर बैठ जाता हूं. उसके हाथ अभी भी मेरा चेहरा बड़े ही प्यार से थामे हुए थे.

मैं भी अपनी हथेलियों में उसका चेहरा भर लेता हूं. वो अब बड़े प्यार से मुझे देखने लगती है.

तभी मैं बोलता हूं.........सुनयना अगर बुरा ना मानो तो मैं तुमको हग कर सकता हूं एक बार.

इस बात का जवाब देने के बजाय वो मेरा चेहरा छोडती है और मेरे सीने पर झुकते हुए उसमे एकदम से सिमट जाती है.

मेरे हाथ अपने आप उसके इर्द गिर्द लिपट जाते हैं. मैं उसको अपने सीने में छुपा लेता हूं. 

अपने एक हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगता हूं और दूसरे से उसके बाल. पता नहीं कितनी देर हम ऐसे ही रहते है. 

जब मैं उसे उठा कर अलग करता हूं तो वो मेरे आगोश से निकलने के लिए मना कर देती है.

‘‘
यार इस तरह से मेरी कमर दुखने लगी है.’.....मैं उसे कहता हूं.

वो जवाब देने के बजाय अपने वजन से मुझे पीछे सोफे पर धकेलने लगती हैं. 

मैं पीठ के बल धीरे से पीछे ढुलक जाता हूं और साथ साथ वो भी मेरे ऊपर आ जाती है. अभी भी उसका चेहरा मेरे सीने में पैवस्त था.

अब मैं लेटे लेटे ही उसे फिर से लपेट लेता हूं. फिर इसी तरह कुछ देर और हम पड़े रहते हैं.

फिर मैं उसे थोड़ा ऊपर खींचता हूं. वो अपना गला मेरे कंधे में घुसा देती है. अब वो ठीक मेरे ऊपर आ जाती है, उसके वक्ष मेरे सीने पर महसूस होने लगते हैं.

मैं उत्तेजना से भर उठता हूं. मेरा पप्पू कड़क हो जाता है. 

अब वो अपना सर उठाती है और अपने गाल मेरे गालों पर रख देती है. कुछ देर तक वो गाल से गाल सहलाती रहती है.

अचानक वो मेरा मुँह पकडती है और अपना सिर उठाकर मेरे होंठों में अपने होंठ डाल देती है और उन्हें बेतहाशा चूमने लगती है. 

जिस तरह से वो चूम रही थी ऐसा लग रहा था कि पहली बार वो ऐसा कर रही है. बहुत ही पेशोनेट हो जाती है वो.

कोई दस मिनट बाद वो रूकती है और मेरी आँखों में देखती है. फिर वो अपनी नज़रें झुका कर मुस्कुराती है और फिर से मेरे सीने में गुम हो जाती है.

मैं उसे जकड़े हुए धीरे से बैठ जाता हूं और फिर उसे गोद में उठा कर बेड रूम की ओर बढता हूं. वो अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लेटी है.

जैसे ही उसे बेड पर रखता हूं वो शर्मा कर बिस्तर में मुँह छुपा लेटी है और बस इतना ही कह पाती है कि .........प्लीज़ लाईट बंद कर दो.

मैं एकदम अँधेरा कर देता हूं. फिर धीरे से उसके पास आकर लेट जाता हूं. वो मेरी ओर करवट लेटी है और फिर से मुझसे चिपक जाती है. मैं भी उसे फिर जकड़ लेता हूं.

वो खींच कर मुझे अपने ऊपर करने लगती है. मैं अपने दोनों हाथ और पैरों पर वजन लेटे हुए उसके ऊपर आ जाता हूं.

वो अपने दोनों पैर चौड़े करके मुझे अपने अंदर ले लेती है. मेरा पप्पू उसके क्रोच पर टिक जाता है.

वो अपने हाथों से मेरा चेहरा खींच कर फिर चूमने लगती है.

उसके हाथ मेरी पीठ पर फिरने लगते हैं. 

अचानक उसके हाथ मेरे लोअर को नीचे खिसकाने लगते हैं. कुछ ही देर मैं वो मेरा लोअर और अंडरवियर निकालने में कामयाब हो जाती है. अभी भी चुम्बन जारी था.

अब उसके हाथ मेरे पुट्ठों को सहलाने लगते हैं.

अचानक मैं घूमता हूं और उसको अपने ऊपर ले लेता हूं. उसके कुर्ते को पकड़ कर ऊपर खींचने लगता हूं. वो भी थोड़ा उठ कर निकालने में मदद करती है. वो फिर मुझसे चिपक जाती है.

अब मैं उसकी ब्रा के हुक खोलता हूं और उसके स्ट्रेप कन्धों से नीचे सरका देता हूं. वो खुद ब्रा को अपने वक्ष से खींच कर अलग कर देती है.

फिर वो उठ कर मेरे पेट पर बैठ जाती है और अपने सलवार का नाडा खोलती है. मैं भी अपना टीशर्ट और बनियान निकाल देता हूं. 

वो खड़ी होकर अपनी सलवार और पेंटी निकाल देती है और फिर से मेरे ऊपर आकार लेट जाती है.

उसके बब्बू मेरे सीने में चुभने लगते हैं वहीँ मेरा पप्पू उसके पेट पर.

अब वो मुझे अपने ऊपर कर लेती है. मैं अपना सिर उसके मम्मों पर लाता हूं तो वो उसे उन पर दबा देती है. मैं उन्हें चूसने लगता हूं. 

कुछ ही देर में वो सिसकने लगती है. बारी बारी से दोनों मम्मों को चूसता जाता हूं.

वो गरमाने लगती है. वो अपनी क्रोच को मेरे पप्पू पर घिसने लगती है.

मैं अपना एक हाथ उसकी योनी पर ले जाता हूं. जैसे ही क्लिट को छूता हूं वो सरसरा उठती है.

मैं अचानक उसके मम्में छोड़ता हूं और सीधा अपना मुँह उसकी योनी पर ले जाता हूं. वो मना करती है पर मैं जबरदस्ती उसमे मुँह घुसेड़ देता हूं 

वो चीख उठती है. मैं जोर जोर से उसकी योनी को चूसने और चाटने लगता हूं. वो पनियाने लगती है. 

उसकी लगातार चींखे निकल रही थी और मैं उसे चूसता ही जा रहा था. वो अचानक भरभरा कर ढेर हो जाती है. 


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