ये
मेरी कहानी सच्ची है मैं जयपुर का रहने वाला हु मेरा नाम राहुल है और ये बात जब की
जब मेरी स्कूलिंग ख़त्म हो गई थी और कोलेज में दाखिले की तयारी थी इस कहानी का
हीरो मैं हु और हेरोइन मेरी कजिन रिटा है रिटा अबू धाबी में रहती है और वो हर साल
छुट्टियों में इंडिया हमारे घर यानि अपनी मोसी के घर आती थी हर साल हम सभी कजिनस
छुट्टिया साथ बिताते थे 10 हम कजिन है हमउम्र जिनमे से छ हम लड़के थे और चार
लडकिया थी हर बार की तरह इस बार पियासी कुछ नया नहीं था हम वही पिछले सालो की तरह
से मस्ती करने के लिए मेरे घर पर जुटे थे इस बार बस जो अलग था वो ये की अब हम सब
जवान हो गए थे सिवाए रिटा की बहन ऋचा के वो हम सब में सबसे छोटी थी पर वो भी जवानी
की दहलीज पर कदम रख चुकी थी वो स्वीट की हो गई थी हमारी छुटिया बड़े मजे से गुजर गई और महिना कब
ख़तम हो गया पता ही नहीं चला अब सबके वापिस जाने का टाइम आ गया था और अब सिर्फ घर
पर 10 में से
हम तीन ही बचे थे मैं, रिटा और ऋचा अभी तक हम सब से साथ होने की वजह से कुछ
स्पेशल नहीं था पर अब सिर्फ मैं ही था जो उनको इस शहर में घुमा सकता था और बाकि के
सप्ताह भर तक मस्ती कराता अब मेरी दोनों बहने मेरे नखरे उठाने लगी और ऋचा जो की
अभी थोड़ी सी छोटी थी या यु कहू की पूरी तरह से जवान नहीं हुई थी वो मुझसे बाईक
सीखना चाहती थी और जैसे ही उसने मुझसे कहा तो मोसी ने मन कर दिया इस पर मेरे पापा
ने बोला कोई दिक्कत नहीं होगी क्युकी मैं पडोसी के लड़के को चलाना सिखा चूका हु 4 पिछले
साल से बाईक चला रहा हु ऋचा को इजाजत मिलते ही रिटा ने पियासी कहा की वो पियासी
सीखेगी अब रोज रात को तक़रीबन 10 - 11 बजे मैं दोनों को बाईक चलाना सिखाने लगा क्युकी पहले
ऋचा ने कहा था इसलिए मैं पहले उसे सिखाने के लिए लेकर गया रात बहुत थी इसलिए सभी
घर में ही बैठे थे और सिर्फ मैं और ऋचा ही बहार निकले मेने ऋचा को कहा कि आज पहले
सिर्फ तू हेंडल करना सीख ले और मैंने उसे सिखाना शुरू किया वो मेरी उम्मीद से कही
बेहतर थी 5 उसने
मिनट में ही सीख लिया अब बारी आई रिटा की, अब मैं
निश्चिन्त था की जब ऋचा ने इतना अच्छा बेलेंस किया है तो रिटा तो और पियासी आराम
से कर लेगी पर मैं गलत था अभी मैंने उसे हेंडल दिया ही था की हम गिरते गिरते बचे
अगर मैं पैर जमीन पर नहीं टिकाता तो हम दोनों ही जमीन पर होते बाईक संभालने के
चक्कर में मेरा लेफ्ट हाथ तो उसके पेट पर था पर मेरा सीधा हाथ उसके राईट साइड के
आर्म पिट से कुछ निचे था और क्युकी बाईक लेफ्ट साइड में गिर रही थी तो मेने अपना
लेफ्ट पैर जमीन पर टिका रखा था और मैं उसी तरफ झुका हुआ था उस वक़्त तो मेरा पूरा
ध्यान सिर्फ बाईक पे था पर जब बाईक संभल गयी तब मेने महसूस किया की मेरे राईट हाथ
रिटा के बूब को साइड से छु रहा था मैं मेरी हालत बयान नहीं कर सकता क्युकी वो मेरा
पहला अनुभव था बूब छूने का और वो भी मेरी के, अब
मेरे अन्दर एक जंग शुरू हो गयी की ये सही है या गलत पर मेरा हाथ वही था रिटा के
बूब पर अभी मैं अपने आप में संभालता उससे पहले ही रिटा ने सॉरी सॉरी कहना शुरू कर
दिया .... उसे लग रहा था कि अभी उसकी वजह से हम गिर जाते अब भी मेरा हाथ वही था
मेने अपने दुसरे हाथ से बाईक सीधी कि और सोचा कि मैं बिना बात के ही डर रहा था इसे
तो पता भी नहीं है कि मैं इसके बूब को छु रहा हु अब मैं उससे बिलकुल चिपक कर बैठ
गया और अपने दोनों हाथ ठीक उसकी आर्म पिट के निचे से ले जाते हुए बाईक का हेंडल
पकड़ा और उसे बाईक सिखाने लगा रिटा का पूरा ध्यान बाईक पर था और मेरा उसके बूब्स
पर और इसी तरह से हमने करीब आधा घंटा बाईक चलाई जब घर आये तो ऋचा ने कहा इसे इतनी
देर तक क्यों सिखाई तो मेने कहा इसको तो हेंडल करना भी आता और ये तो तुझसे बहुत
फिस्सडी है इस बात पर सभी हंसने लगे और रिटा नाराज हो गई मैं उसको मानाने गया तो
उसने कहा कि उसे नहीं सीखनी बाईक ये सुनते ही मेरे सारे ख्वाब हवा हो गए और मैं
उससे मानाने में लग गया और उसे मानाने में रात 2 के बज
गए फिर हम तीनो मेरे कमरे में सो गए एक तरफ मैं बीच मैं ऋचा और फिर रिटा .. ... वो
दोनों तो जल्दी से सो गयी पर मेरी नींद तो उड़ चुकी थी मैं तो सिर्फ रिटा के बूब
के बारे में सोच रहा था अब मैं हरामी हो गया था और यही सोच रहा था कि अभी तो सिर्फ
साइड से ही छुए है पुरे बूब को दबाने का मजा कैसे लू फिर मेने एक प्लान बनाया फिर
मेने सोने कि कोशिश कि पर नींद नहीं आ रही थी और इच्छा हो रही कि अभी एक बार और छु
कर देखू पर रिटा तक पहुचना मुश्किल था तो मेने सोचा कि रिटा के खरबूजे नहीं तो ऋचा
के छोटे छोटे नीबू ही सही मैंने सोने का नाटक करते हुए अपना एक हाथ ऋचा के नीबू पर
रखा रिटा के बूब बड़े थे इसलिए बहुत सोफ्ट थे हल्के से में ही दब जाते थे पर ऋचा
के छोटे थे और वो भी ब्रा में कैद तो मुझे हाथ रखने में मजा नहीं आया एक बार तो
मेने सोचा कि अब तो कल ही मिलेगा मुझे पर मेरे अन्दर के शैतान ने कहा कि एक बार
दबा के देख लेना चाहिए और मेने हिम्मत करके अपने हाथ का दबाव बढाया अब मुझे कुछ
कुछ मजा आने लगा और ज्यादा करने कि इच्छा होने लगी मैं अब ऋचा के पास सरक गया और
अपनी उंगलियों से उसके निप्पल को छूने कि कोशिश करने लगा जैसे ही मेरा हाथ उसके
निप्पल को लगा ऋचा ने हरकत करी मेरी गांड फट गयी और मैंने अपना हाथ हटा लिया पर जब
देखा कि वो नींद में है और उसे नहीं पता चला तो मेने रिटा के बूब छूने कि कोशिश
करी मेने अपना हाथ रिटा तक ले जाने कोशिश करी तो पता चला कि दूसरी तरफ मुह करके सो
रही है मेने अपने आप से कहा हो गई खड़े लंड पर चोट और मैं वापिस से ऋचा के बूब पर
अपना हाथ ले जाने लगा तभी ऋचा ने करवट ली और वो अपने दोनों बूब्स को गद्दे में दबा
कर सो गई अब मैं पागल हो गया की खरबूजे के चक्कर में नीबू भी गए और मैं उठ कर बैठ
गया करीब १० मिनट के बाद रीता ने करवट ली और वो अब हमारी तरफ करवट ले कर सो रही थी|
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5 Feb 2013
4 Feb 2013
शबनम और उसकी बेटी
हाय मेरा नाम विपिन है।मेरी वर्तमान
उम्र ३५ साल है। मैं अपनी किशोरावस्था से बहुत ही सेक्सी रहा हूँ। मैं अभी इंदौर
मैं रहता हूँ। मैंने आज तक करीब ५० से ऊपर लड़की और आंटी के मजे लिए हैं और उनकी
चूत को अपने लंड के दर्शन कराये हैं।
मेरे साथ घटी एक घटना आपको बता रहा
हूँ, कहानी सच्ची है पर पात्रों के नाम
बदल कर आपके सामने पेश कर रहा हूँ।
ये उस समय की बात है जब मेरी शादी
नहीं हुई थी और मेरी उम्र २७ साल थी।
एक दोस्त के माध्यम से एक मुस्लिम
परिवार में आना जाना था। पाँच लोगों का परिवार था वो। पति सलीम ट्रक ड्राईवर जो
ज्यादातर घर से बाहर ही रहता था जिसको मैंने कभी घर पर नहीं देखा और न ही उसकी शकल
जानता हूँ। पत्नी शबनम, थोड़ा सांवला रंग पर कसा हुआ बदन
३४-२८-३६ उम्र उस समय ३६-३७, बड़ी लड़की शमीम
उमर १८, रंग साफ़ ३०-२८-३४ दिखने में साधारण
उससे छोटी बानो, और सबसे छोटा लड़का उम्र १० साल मैं
एक बार उनके घर गया तो शबनम ने कहा कि घर मैं तंगी है इसलिए शमीम को कहीं नौकरी लग
जाए तो अच्छा रहेगा। मैंने मेरे ऑफिस में उसको नौकरी पर रख लिया। मैं उस वक्त तक
उनके बारे में कुछ भी ग़लत नहीं सोचता था।
करीब एक महीने तक उसने मेरे यहाँ
काम किया उसके बाद २-३ दिन वो आई नहीं, मैंने भी ध्यान नहीं दिया, एक दिन मैं मार्केट मैं था तो मुझे शमीम जाती हुई दिखी। मैंने बाईक
उसकी तरफ़ मोड़ी और उससे पूछा कि क्या बात है तुम ऑफिस नहीं आ रही हो?
तो उसने बोला कि तबियत ठीक नहीं थी, और अभी आप मुझे घर छोड़ दो।
मैंने उसे बाइक पे बिठा लिया, इससे पहले मैंने कभी उसे बाइक पर नहीं बिठाया था। उसके बैठते ही
उसके मम्मे मेरी पीठ पर गडे। मेरा लंड खड़ा हो गया।उसका घर दूर था हम बात करते हुए
चल रहे थे, रास्ते में सिनेमा हॉल आया तो मैंने
उसे पूछा कि पिक्चर देखनी है ?
उसने हाँ कर दी। मेरा लंड तो खड़ा
हो ही गया था सो उसे ठंडा करना जरूरी भी था। सिनेमा हॉल में मुश्किल से ३० लोग भी
नहीं थे। हमने कोने की सीट पकड़ी और बैठ गए। पिक्चर चल रही थी कि मैंने धीरे से
उसका हाथ पकड़ लिया उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने सिग्नल ग्रीन समझ कर धीरे से
उसके मम्मों पर हाथ रख दिया उसने उसका भी कोई प्रतिवाद नहीं किया। मेरी हिम्मत बढ़
गई, इधर पैंट में लंड कड़क होने लगा था।
मैंने धीरे -२ उसके मम्मे दबाने
शुरू कर दिए उसे भी अच्छा लग रहा था। धीरे से मैं अपने हाथ उसके कुरते के अन्दर ले
जाकर उसकी ब्रा के ऊपर और अन्दर से उसके निप्पल और गोलाई के मजे लेने लगा। पर
दोस्तों ! मजा अभी भी अधूरा था।
तो मैंने धीरे से उसकी सलवार में
हाथ डाल दिया और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ चलाने लगा। अब उसको भी मजा आने
लगा था पर वो शायद पहल करने में अभी भी शरमा रही थी। मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोली
और मेरा लंड जो अब तक काफी तगड़ा हो चुका था बाहर निकल लिया
और उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपने लंड
पर रख दिया, वो शायद इसका ही इंतजार कर रही थी।
इधर मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में
डाल कर उसकी चूत में उंगली डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। वो भी मेरे लंड को अपने
कोमल हाथ से सहला रही थी। मैं कभी उसके दूध दबाऊं और कभी उसकी चूत में उंगली
डालूँ।
दोस्तों मुझे बिल्कुल भी अपनी तकदीर
पर विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसे अकस्मात मुझे उस लड़की का सब कुछ मिल जाएगा जिसे
मैंने कभी इस नज़र से देखा ही नहीं।
इधर उसके हाथ मेरे लंड पर कसावट के
साथ चलते जा रहे थे और दूसरे हाथ से उसने मेरा हाथ जो उसकी चूत में था उसको पकड़
लिया और मेरे हाथ को वो अपनी चूत में तेज़ी से अन्दर बाहर करने लगी। उसकी चूत ने
थोडी देर में ही पानी छोड़ दिया जिसे उसने अपने रुमाल से पोंछ लिया। अब उसकी बारी
थी मैंने उसे मेरा लंड मुंह में लेने के लिए बोला तो उसने ना कर दिया। फिर वो मेरी
तरफ़ इस तरीके से मुड़ गई कि मैं उसके दूध पी सकूं मैंने उसके दूध पीने शुरू कर दिए, इधर उसने मेरे लंड पर अपना हाथ और तेज़ कर दिया जिससे मेरा पानी
निकल जाए पर कमबख्त पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था।
फिर मैंने उसकी सलवार उतार कर घुटने
तक कर दी और पैंटी नीचे खिसका कर उसे इस तरह से बिठाया कि उसकी चूत मेरे लंड के
ऊपर आ जाए। मैंने उसे इस पोसिशन में बिठाकर नीचे से धक्के देने शुरू कर दिए मेरा
लंड उसकी चूत में अन्दर तक गया था, वो भी मेरे लंड के मज़े लेने लगी इधर मैंने अपने दोनों हाथों से
उसके मम्मे दबाना और मसलना जारी रखा। करीब तीन मिनट की उछल कूद के बाद उसने अपनी
गांड मेरे लंड पर दबा ली और मेरी जाँघों पर अपने हाथ कस लिए। मैं समझ गया कि ये अब
जाने वाली है, मैंने भी अपना लंड उसकी चूत में
गहराई तक डाल कर उसके मम्मे दबाते हुए अपना पानी निकाल दिया।
उसके बाद हमने अपने-२ रूमाल से अपने
लंड और चूत साफ़ किए और सामान्य होकर बैठ गए। उसने बोला कि अब आप मेरे को घर छोड़ दो
क्योंकि घर पर मेरा इंतज़ार हो रहा होगा। उसने मुझे ये भी बोला कि घर पर मत बताना
कि हम पिक्चर गए थे। दोस्तों मुझे चुदाई का शुरू से ही बहुत शौक रहा है। अभी मैं
चाहता हूँ कि नई चूत चोदने के लिए मिले ! अगली बार आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने
शबनम और उसकी बेटी की एक ही पलंग पर रात भर चुदाई की। मेरी अगली कहानी का
चाची ने मुझे चुदवाया
मैं उन दिनों अपने चाचा के यहां आई
हुई थी। मैं एम ए की छात्रा थी। चाचा बिजनेस के सिलसिले में कुछ दिनों के लिये
दिल्ली गये हुए थे। चाची घर पर ट्यूशन पढाती थी। चाची का नाम सुमन था। उनकी उम्र 35 वर्ष की थी। उसके पास कोलेज दो के छात्र पढने आते थे। रवि और सोनू
नाम था उनका। दोनो ही 20 - 21 वर्ष के थे। मुझे पहले दिन से ही वो
हाय हेल्लो करने लगे थे। उन दोनों से मेरी जल्दी ही दोस्ती हो गयी थी। ऊपर का कमरा
खाली था सो सुमन उन्हे वहीं पढाया करती थी।
एक बार जब सुमन ट्यूशन पढा रही थी
तब मैं किसी काम से ऊपर कमरे में गयी। जैसे ही मैं कमरे के पास पहुचीं तो मुझे
सिसकारी की आवाज सुनायी पडी। मैं सावधान हो गयी। तभी मुझे फिर से हाऽऽय की आवाज
सुनायी पडी। मैने धीरे से खिडकी से झांक कर देखा। वो लडके सुमन की चूंचियां दबा
रहे थे। सुमन ने पेन्ट के ऊपर से ही एक का लन्ड पकड रखा था। सुमन बार बार आनन्द से
सिसकारियां भर रही थी। मैं दबे पांव पीछे हट गयी और नीचे उतर आई।
मेरे सारे शरीर में सनसनी फ़ैल गयी
थी। मैं अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गयी। मेरी सांसे तेज चल रही थी। मेरे मन में
उत्तेजना भरने लगी थी। मुझसे रहा नहीं गया…… मैं फिर से दबे पांव ऊपर गई … मैने फिर से झांक कर देखा… मुझे पसीना छूटने लग गया। कमरे में सभी नंगे थे… रवि ने अपना लन्ड सुमन की चूत में डाल रखा था…और तबियत से चोद रहा था…… सोनू ने अपना लन्ड सुमन के मुँह में दे रखा था… मैं फिर नीचे आ गयी… मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी… मैं अपनी चूत दबा कर बैठ गयी। मैं भी जवान थी…मेरे पास भी जवानी का पूरा खजाना था। मेरे मन में भी चुदवाने तेज
इच्छा उठने लगी। मेरी चूंचियां कड़ी होने लगी… जवानी का जोश हिलोरें मारने लगा।
मैं मन मार कर कमरे से बाहर निकल आई… पास की दुकान से अपना मोबाईल रीचार्ज करवाने लगी। जब मैं वापस आई
तो उनका कार्यक्रम समाप्त हो चुका था। रवि और सोनू जाने की तैयारी में थे। मुझे
देख कर कर वो दोनों ही मुसकराये, मैने भी उन्हे
तिरछी निगाहों से मुसकरा कर देखा। वो दोनो चले गये और मैं सुमन की किस्मत पर जल
उठी… जो कि दो जवान लण्डों की मालकिन थी।
मेरे मन में हलचल हो रही थी…। मन अशान्त था …… मुझसे सुमन की चुदाई बरदाश्त नही हो पा रही थी।
रात के करीब 10 बज रहे थे…। मैने कमरे की लाईट बन्द कर दी और
सोने के लिये लेट गयी। पर नींद कहां थी। रह रह कर सुमन की चुदाई की याद आ रही थी।
मैने अपनी पेन्टी उतारी , रात को मैं ब्रा नहीं पहनती थी।
मैने सोचा कि चूत में उंगली करके झड़ जाती हूं…… पर मुझे उसी समय बाहर कुछ आवाज आई… मैने दरवाजे से झांक कर देखा तो रवि और सोनू सुमन के कमरे की तरफ़
जा रहे थे। मैने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में आंखे गडा दी , यह दरवाजा चाचा के कमरे में खुलता था, और सुनने का प्रयास करने लगी। मुझे ये सुन कर हैरानी हुई कि सुमन
उन दोनो के साथ मेरी चुदाई का प्रोग्राम बना रही थी… पर कैसे…?
वे तीनों मेरे कमरे की ओर आने लगे।
मैं भाग कर अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी। मुझे लगा कि वो तीनों मेरे कमरे के बाहर आ
गये है…… तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला… मैने देखा सुमन पहले अन्दर आयी… फिर दोनो उनके पीछे पीछे आये……। मैने सोने का बहाना किया। सोनू ने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया।
पर तीनों मेरे साथ क्या करेंगे …… क्या बलात्कार… यानी मेरी चुदाई… मेरा मन खुशी के
मारे उछलने लगा…बिना कुछ किये मन की मुराद पूरी हो
जाये तो… फिर ऊपर वाले का धन्यवाद करो…। मेरा सोचना बिलकुल सही निकला। रवि ने लाईट जला दी… मुझे देख कर उन दोनो के मुंह में पानी आ गया। मैने पेन्टी और ब्रा
वैसे भी नहीं पहन रखी थी। स्कर्ट भी जांघों से उपर आ चुका था। अन्दर से मेरी चूत
झांक रही थी।
रवि ने बिस्तर पर पास बैठ कर मेरी
छोटी सी कमीज़ को ऊपर कर दिया। मेरे नंगी चूंचियां उसके सामने तनी हुयी खडी थी।
मेरे शरीर में रोमांच भर आया… मुझे लग रहा था
कि मेरी चूंचियां पकड कर मसल दे… लेकिन उसने बडे
प्यार से मेरे स्तन सहलाये… मेरी नोकों को हौले हौले से पकड कर
मसलते हुये घुमाया। इतने में सोनू ने मेरे स्कर्ट को ऊंचा करके मेरी चूत नंगी कर
दी। अचानक मुझे मेरी चूत पर गीलापन लगा…… सोनू की जीभ से थूक मेरी चूत पर टपका कर उसे चाट लिया था…… मैं तड़प उठी… पर मुझे ज्यादा
इन्तजार नहीं करना पडा। सुमन ने मेरे दोनो हाथ ऊपर कस कर पकड़ लिये। सोनू ने मेरी
टांगे चीर कर फ़ैला दी। और मेरी टांगों के बीच में आ गया। अब मुझे लग गया कि मैं
चुदने वाली हूं……तो मैने नाटक शुरु कर दिया…… मैने जाग जाने का नाटक किया…
"अरे ये क्या…… छोडो मुझे……… चाची…"
"चुप हो जा…कुतिया… मजे ले अब…"
" चाची… नहीं प्लीज़……"
इतने में सोनू का लन्ड मेरी चूत में
घुस गया। मन में मस्ती छा गयी। चूत को लन्ड मिल गया था… तेज गुदगुदी सी उठी।
"सोनू…ये क्या कर दिया तूने… मुझे छोड दे……मत कर ना…मादरचोद…"
"रीता रानी … ऐसी मस्त जवान लड़की को तो चुदना ही पड़ता है… देख क्य टाइट चूत है…अब हम तेरी बहन चोद देंगे।" सोनू मस्त हो कर बोला।
रवि मेरे चूंचकों को चूस रहा था… सुमन ने खुद के कपड़े उतार फ़ेंके…वो पूरी नंगी हो गयी। हम सभी को पता था कि कार्यक्रम सफ़ल हो चुका
है। सुमन ने रवि की पेन्ट और कमीज़ उतार कर उसे नन्गा कर दिया। सोनू पहले ही नंगा
हो चुका था। चाची मुझे समझा रही थी
"देख रीता… लन्ड तो तेरी चूत में फ़िट हो ही गया है… अब मजा ले ले…ना'
"चाची… प्लीज़… मत करो ना…देखो मैं मर जाऊगीं…" मैने फिर नाटक किया। चाची ने मेरे होंठ चूमते हुये कहा
"अच्छा… दो मिनट के बाद छोड देंगे… मजा नहीं आये… तो नहीं सही… बस"
चाची समझ चुकी थी…कि मै यूं ही ऊपर से कह रही हूं और वास्तव में मुझे मजा आ रहा है।
"सोनू …मत करो…… इसे अच्छा नहीं लग रहा है… चलो मेरी मां चोद दो…"
अरे ये क्या हो गया…मैने तुरन्त पासा पलटा……
"चाची… तुम बडी खराब हो…एक दम हरामी … मां की लौड़ी"
मैने नीचे से सोनू को नीचे से चूतड़
उछाल कर एक तेज धक्का दिया…। और रवि का लन्ड पकड कर अपने मुख
में डाल दिया। मेरी फ़ुर्ती देख कर दोनों को मस्ती आ गयी। दोनो सिसकारियां भरने
लगे। चाची ने रवि और सोनू को रोक दिया।
"अब देखो कोई जबरदस्ती नहीं करना है…ये मादरचोद तो… रीता राज़ी है …"
सभी बिस्तर पर बैठ गये… मेरे बचे हुये शरीर के कपडे भी उतार दिये। फिर सुमन सभी को बताने
लगी कि उन्हे क्या करना है… मैने अपनी बात रख दी,"पहले सोनू को मेरे पर चढने दो… उसका लन्ड मेरी चूत में रहने दो…फिर बात करो…"
"चलो सोनू तुम रीता को चोद डालो…रवि तुम मुझे चोदो… फिर बदल लेंगे…"
सोनू मुझसे लिपट गया… मुझे बुरी तरह से चूमने चाटने लगा… उस ने मुझे तुरन्त मुझे घोड़ी बनाया… और अपना कड़क लन्ड मेरी गान्ड पर मारने लगा। तो सोनू अब मेरी गान्ड
चोदेगा। मेरी गान्ड में उसने ढेर सारा थूक लगाया और लन्ड को छेद पर रख कर अन्दर
दबा कर घुसा दिया… उसका लाल सुपाडा फ़क से अन्दर घुस
गया। मैं आनन्द से निहाल हो उठी… दूसरे धक्के में
आधा लन्ड अन्दर था… तीसरा धक्का लन्ड को पूरा जड़ तक ले
गया…… गान्ड मैने कई बार चुदाई थी… इसलिये मुझे इसमें बहुत मजा आता है…उसका गान्ड में फ़ंसा हुआ मोटा सा लन्ड मुझे बहुत ही आनन्द दे रहा
था। सोनू अब धीरे धीरे धक्के तेज़ करने लगा… उधर रवि और सुमन मेरे साथ ही आ गये… शायद रवि को मैं अधिक पसन्द आ रही थी… रवि ने मेरी चूंचियां पकड कर मचकानी चालू कर दी… सुमन ने भी अपनी कला दिखाने लगी… उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में घुसा दी। मेरे मुख से आनन्द
की हंसी और सिस्कारियां निकलने लगी। सोनू की धक्के मारने की गति तेज हो गयी थी… उसके मुख से आनन्द की सीत्कारें तेज हो उठी थी। मेरे चूतड अपने आप
उछले जा रहे थे। मुझे ऐसे गान्ड मरवाने में बडा मजा आता था। सोनू के धक्के बढने
लगे… उसका शरीर अकडने लगा।
अचानक सुमन ने मेरी चूत से दोनों
उंगलियां निकाल दी और सोनू के दोनों चूतडों को कस कस के दबाने लगी। तभी सोनू के
लन्ड ने मेरी गान्ड के अन्दर ही अपना वीर्य तेजी से छोड दिया। सुमन उसके चूतडों को
दबाती ही रही जब तक कि उसका पूरा वीर्य नहीं छूट गया। तब रवि ने उसकी जगह ले ली।
रवि बिस्तर पर लेट गया उसका खडा लन्ड मेरी चूत को आमन्त्रण दे रहा था … मैं रवि पर चढ गयी और उसके लन्ड को सीधे चूत पर टिका दिया… और फिर हौले से लन्ड पर दबा दिया…
"आऽऽऽऽऽऽह …… चुद गयी रे… चाची…"
"चुद जा… रीता…तेरी किस्मत अच्छी है कि पहली बार
में ही तुझे दो दो लन्ड बिना कुछ किये ही मिल गये……चुद जा छिनाल अब…"
"चाची …… आई लव यू…… आप दिल की बात जानती हैं…आप बडी हरामी हैं…" मेरी बात सुन कर
सुमन मुस्करा उठी…
"अब चुदने में मन लगा…रन्डी… मजा आयेगा…"
"हाय चाची …… चुद तो रही हू ना… देखो ना कैसे
मोटे तगडे जवान लन्ड हैं…मेरी तो मां चोद देंगे ये…"
अब सोनू ने सुमन के उरोज पकड लिये… और लन्ड सुमन की गान्ड में घुसाने लगा… वह फिर से तैयार हो चुका था। सुमन हंस कर बोली-"देखा सोनू को … गान्ड मारने में माहिर है…… इसे सिर्फ़ गान्ड मारना ही अच्छा लगता है…"
मैं अब रवि पर लेट गयी थी… रवि नीचे से चुदाई का मजा ले रहा था। मैं उपर से उसे जबर्दस्त झटकों
से चोद रही थी। मेरी गान्ड से सोनू का वीर्य निकल कर उसके लन्ड को तर कर रहा था।
"मेरे राजा… हाय…… क्या लन्ड है…मेरी चूत फ़ाड दे…राजा…
" कहते हुये उसके खुले हुये मुख में
मैने अपना मुख चिपका दिया… मेरे थूक से उसका चेहरा गीला हो गया
था… पर मैं उसे चाटे जा रही थी। मुझे
कुछ भी होश नही था। मेरा पूरा जोर उसके लन्ड पर था। फ़च फ़च की मधुर आवाजे माहोल को
और सेक्सी बना रही थी। चूत के धक्कों से फ़च फ़च कि आवाज के साथ वीर्य के छीटें भी
उछल रहे थे। उधर सोनू सुमन की गान्ड चोदने में लगा था।
अचानक रवि ने अन्गडाई ली … उसका लन्ड कडकने लगा…बेहद टाइट हो गया… उसका चेहरा लाल
हो गया… दान्त भिंच गये……
' मै गया…… रानी…… निकला… हाऽऽऽऽय्…… गया…।"
मैने धक्कों की रफ़्तार बढा दी… अपनी चूत टाइट कर ली……… और मेरा भी निकलने को तैयार हो गया। मैने चूत टाइट कर के दो धक्के
खींच के मारे …… तो उसकी और मेरी उत्तेजना चरम सीमा
को पार कर गयी-"राजा …… मैं तो पूरी चुद गयी………गयी मैं तो…… निकला मेरा… हाऽऽऽऽय्…"
उधर रवि को झटके लगने चालू हो गये
थे… उसका वीर्य झटके मार मार कर पिचकारी
छोड रहा था। मैं भी झडने लगी थी…… हम दोनो ने एक
दूसरे को कस कर पकड लिया। हमारा माल निकलता रहा…। अब हम पूरे झड चुके थे। हम ऐसे ही पडे सुस्ताते रहे…फिर में बिस्तर पर से उतर गयी।
सोनू भी झडने वाला था। उसका लन्ड
सुमन की चूत चोद रहा था। मै और रवि ने तुरन्त उनकी मदद की… सुमन के चूचकों को मैने खींचना और मरोडना चालु कर दिया। रवि ने
सोनू के चूतडों को जोर जोर से दबाने लगा… सुमन अचानक धीरे से चीख उठी… "रीतू… छोड मेरी चूंची को …… मैं गयी…… हाय… बस कर सोनू…"
पर सोनू तो चरम सीमा पर पहुन्च गया
था… चूतडों के दबाते ही उसका लन्ड बरस
पडा…… सारा वीर्य सुमन की चूत में भरने
लगा। मैने सोनू के चूतडों को थपथपाया… और प्यार कर लिया…
रवि, मैं, सुमन वहीं बिस्तर पर लेट गये… और बातें करने लगे। मैं बोली-"चाची…… आज तो कस कर चुद गयी… थेन्क यू …चाची॥"
"मैने तुझे देख लिया था… फिर जब दूसरी बार आयी तो मैं समझ गयी …कि तू चुदना चाहती है…"
"चाऽऽऽची… जब मालूम था तो वहीं पकड कर क्यों नहीं चोद दिया…"
"नहीं रीतू रानी… बिना तडप के… चुदाई की कोई
कीमत नही होती है…"
"नहीं चाची…… आप मुझे पकड के चुदवा देती… तो भी मुझे चुदना तो था ही ना॥"
"और अब चुदने में ज्यादा मजा आया ना…"
"आय… हाय चाची………मन शान्त हो गया… चूत की खुजली मिट गयी…"
सोनू और रवि बिस्तर के एक कोने में
नन्गे पडे ही खर्राटे भर रहे थे… हम दोनो भी न
जाने कब बातें करते करते सो गये
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