6 Apr 2013

मेरी सालिया 2



मैं जब आशा को देखने पोहचा तो मैंने गार्डन में आरती को देखा| शायद उसे ये अंदाजा नहीं था की हम आशा को देखने रहे है| जब मैंने उसे देखा तो वो पौदों को पानी दे रही थी|उस वक़्त मुझे उसका सिर्फ पिछवाडा दिख रहा था| जिसे देख मैं तो हैरान रह गया| क्या दिख रही थी आरती| उसके वो बड़े बड़े कुल्हे जिसे मटकाते हुए वो पौदों को पानी दे रही थी| जिसे देखते ही मैं उसपे फ़िदा हो गया| मेरा ध्यान तब टूटा जब मेरे दोस्त ने मुझे टोका|

हम घर के अन्दर दाखिल हुए लेकिन मेरा ध्यान तो उस मटकते हुए कुल्हे पर ही था| मैं उसे भुला ही नहीं सकता था| अन्दर आने के बाद जब हम बैठे तब घर मैं सिवाई आशा की माँ के उसका भाई और ये तीन बहने ही थी| उसके भाई ने हमें बैठने के लिए कहा और कुछ मिनट बाद एक बहोत ख़ूबसूरत लड़की हमें पानी देने के लिए उस कमरे में गयी| वो और कोई नहीं आरती ही थी| जब वो पानी देते हुए रही थी मैं सिर्फ उसका पिछवाडा ही देख रहा था| जैसे ही वो मुझे पानी देने के लिए मेरे पास आयी मेरी तो धड़कने बड़ी तेज हो रही थी| पर जैसे ही वो मुझे पानी देने के लिए झुकी मानो मुझपे तो बिजली गिर पड़ी| जैसे वो झुकी, पानी लेते वक़्त मेरी नजर सीधा उसके ड्रेस के गले से होते हुए उसके अन्दर तक चली गयी| और जो मैंने देखा वो तो मैं बयां नहीं कर सकता| उस वक़्त शायद उसने उस टॉप के अन्दर पुश अप ब्रा पहनी हुयी थी और उसकी वजह से उसके उरोज उस टॉप से बाहर आने को बेक़रार थे| ये नजारा देख मेरे हाथ से पानी का ग्लास गिर गया जो सीधा मेरी पेंट पे ही गिरा| जिससे मेरी पूरी पेंट गीली हो गयी| इस अचानक हुए हादसे से आरती को हसी तो बहोत रही थी लेकिन मेरी हालत देख उसे तरस भी रहा था| इस हादसे की वजह से मुझे इतनी शर्म रही थी की मेरी नजर ऊपर उठ नहीं रही थी| इतने में आरती मुझे बोली "आप अन्दर चलिए"| इस अचानक हुए हादसे से मैं पहले ही शर्म से लाल हो गया था http://srv.exbii.com/images/smilies/red_smile.gif http://srv.exbii.com/images/smilies/red_smile.gif और उसके इस बात से तो मुझे क्या बोलू वो सूझ भी नहीं रहा था
मेरी इस समस्या को जान मेरा दोस्त मुझे बोला "सुमीत! अरे यार बिना कुछ सोचे जल्दी से अन्दर जा नहीं तो तेरी हालत और भी खराब हो जाएगी"| उसकी बात मान मैं आरती के पीछे चला गया| मैं अन्दर गया तो आरती ने मुझे तौलिया दिया और बोली "आप की पेंट निकल के दीजिये| मैं उसे सुखा देती हूँ"| मैं उसे बोला "इतने जल्द पेंट नहीं सूखेगी"| तो आरती बोली "अरे सुमीतजी आप पेंट निकली ये तो मैं सिर्फ मिनट मैं कुसे सूखा देती हूँ "| मैंने बिना कुछ बोले उसे मेरी पेंट निकाल के दे दी| आरती मुझे बोली "आप थोड़ी देर बैठिये"| और इतना कह के वो मेरी पेंट आयरन करने लगी| इस बार भी वो मेरी तरफ पिछवाडा हिला हिला कर के आयरन कर रही थी| इस वक़्त वो मेरे इतने करीब थी मुझे लगा की मै उसे छु लूं| लेकिन हालात देख मैं सिर्फ उसे देख रहा| उसने मुझे पेंट दे दी और वो चली गयी| में भी पेंट पहन के बाहर गया|

कुछ देर बाद लड़की देखना का प्रोग्राम ख़तम कर हम वापिस गए|

घर आते ही मैं मेरे घरवालों से आशा के लिए हाँ कर दी|

क्रमशः
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