15 Mar 2020

कहानी कबीले की 1

ये कहानी शुरू होती है लगभग छह हजार साल पहले, उस दौर में लोग छोटे छोटे कबीले में रहते थे| उनके जीवन का एक मात्र उद्देश्य था| जीवित रहना और सुरक्षित रहना लेकिन उनके दिमाग में ऐसा कोई उद्देश्य नहीं था वो ये तो उनकी प्रकृति में ही समाहित था| डर उनके अन्दर सबसे बड़ा बल था उन्हें जीवत रहने के लिए समय पे समय पे नए उपकरण खोजने का संकेत देता रहता था वो जैसे ही किसी जानवर को देखते उनकी चेतना तुरंत आने वाले संकट की तयारी का सन्देश देती| कोई नही जानता था आखिर ऐसा क्यूँ होता है, यहाँ तक की क्यूँ शब्द भी उनके लिए अजनबी था वो मिल बांटकर शिकार करते और प्रेम से रहते ना कोई रंग का भेद, ना ही कोई जाति या धर्म| सब कुछ अपने आप में परिपूर्ण था| अभी रिश्ते नाते जैसी पहिचान विकसित नही हुई थी बस पहिचान थी तो सिर्फ इतनी की कौन किस कबीले का है| कबीले में कई लोग रहते थे बच्चे, बूढ़े , युवक, और युवतियाँ| कबीले की मुखिया एक महिला होती थी जोकि सबसे समझदार, तेज, मजबूत, शिकार करने में निपुण होती थी| कबीले में बच्चों को सिर्फ अपनी माँ का पता होता था बाप कोई भी हो सकता था, उसका अपना भाई भी| कोई भी किसी के साथ भी मथुन करता था और मैथुन आसानी से मिलने के कारण बहुत ही कम अवस्था से शुरू कर देते थे नए नए तरुण और तरुणियों में तो इतना उत्साह रहता था की दिन में चार बार तक मैथुन कर लेते थे| और तरुणियाँ बहुत जल्दी माँ बन जाती थी 

लशा का व्यक्तित्व एक शिकारी पुरुष के बिलकुल विपरीत है कबीले में तेज शिकारी पुरुष बहुत सराहनीय है इससे कबीले को भोजन और सुरक्षा मिलती है हर पुरुष को शिकार में अपने जोहर दिखाने में बड़ी ख़ुशी मिलती है| पर लशा तो किसी और ही दुनिया में खोया रहता है| ना तो वो किसी से ज्यादा बात करता है और ना ही उसे इसकी परवाह है कि उसे कोई पसंद नहीं करता
उसके इस व्यवहार की वजह से अब तक किसी भी तरुणी या स्त्री ने उसके साथ मैथुन नहीं किया है और ना ही लशा, किसी की भी तरफ आकर्षित हुआ है|
आज जामवती अपनी पूरी टोली के साथ शिकार पे निकली है-
जामवती -- "आज का मौसम सघन है ठंडी हवाएं और हलके कोहरे का मिले जुला भाव है बारिश होने की आशंका भी लग रही है पता नहीं अगले कितने दिन बारिश चले| कोई बडे से शिकार की आवश्यकता है पता नहीं कितने दिन शिकार अनुकूल मौसम ना मिले|


समूह का सबसे मजबूत युवक कृष्णावती का पुत्र भद्रा(21 वर्ष) आगे आता है अपनी तेज आँखों से जामवती के दहिने और निहारता हुआ शी शी मुंह पे ऊँगली रखके इशारा करता है, "अम्मा उधर देख कोई भेड़िया जान पड़ता है" जब सब सुनिश्चित कर लेते है यही हमारा शिकार है सब हमले की तयारी में जुट जाते है 

जामवती -- "आज का शिकार बहुत बड़ा लग रहा है हमारे 15 दिनों का भोजन", चेहरे पे मुस्कान के भाव लाते हुए|


भद्रा -- अम्मा इस शिकार में तो हमे बहुत मेहनत लगेगी


जामवती -- मेहनत तो लगेगी ही तू कभी कृष्णावती के साथ शिकार पे नही गया? उसके अन्दर बहुत उर्जा और स्फूर्ति थी 
जब वो मुखिया थी तो मैंने उसने ने मिलके ऐसे ही एक तंदुरुस्त भेड़िया का शिकार किया था वो भी अकेले| जबकि हमारे साथ तो 14 जन है| इसकी प्रशंसा में कबीले के मर्दों हम दोनों से कई दिनों तक प्रेम किया था 
भद्रा एक रस्सी से जामवती के स्तन बंधते हुए(ताकि दौड़ना ज्यादा सुगम हो)
भद्रा -- अपने समूह को 3 3 के उपसमूह में बाँट देता है और चारो दिशाओं में अग्रसर एक एक उपसमूह को अग्रसर होने का आदेश देता है और खुद जामवती के पीछे हो लेता है 
भद्रा जामवती के पीछे चिपक के खड़ा होता है जामवती शिकार पे आक्रमण करने की तरकीब सोचती है 
जामवती आगे की ओर झुक के खड़ी होती है भद्रा की नजर के उसके उठे हुए नितम्ब पे पड़ती है भद्रा का लिंग मैथुन के विचार से तन जाता है और उसका मन शिकार से हटकर मैथुन करने को करता है वो ज्यादातर तरुणीयों से मैथुन किया करता था पर पहली बार उसके अन्दर इतनी तीव्र इच्छा थी कि वो जामवती से मैथुन करे 
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इस कहानी के कबीले की मुखिया है जामवती जोकि करीब 26 वर्ष की मजबूत शरीर की महिला है जिसके अभी सिर्फ 7 बच्चे है 4 लड़के और 3 लड़कियां| कबीला कुल मिलाकर अभी 60 लोगों का निवास है जिनमें 







बच्चे भी शामिल है कबीले के सभी लोग जामवती को अम्मा बुलाते है जामवती से पहले इस कबीले की मुखिया 






उसकी ही माँ की ज्येष्ठ पुत्री कृष्णावती थी जोकि अब 40 बरस की सबसे सबसे सुन्दर महिला है जवानी के दिनों में कबीले सभी मर्द मैथुन करने के लिए उत्सुक रहते थे कृष्णावती अब शिकार पे नही जाती वो कबीले के बच्चों की देखभाल करती है बच्चों में जामवती का ज्येष्ठ पुत्र लशा, कृष्णावती को बहुत प्यारा है वो उसके कोमल अधरों को देख देख बहुत खुश होती है शिकार पे जाने योग्य होने के बाबजूद उसकी शिकार में कोई रूचि नही है जबकि लशा से छोटे तरुण जामवती के साथ शिकार पे जाने लगे थे जामवती लशा के इस स्वाभाव की वजह से बिलकुल पसंद नही करती और ना ही कबीले के और लोग लशा को पसंद करते|